उत्तर नारी डेस्क
कार्यक्रम में सभी फैकल्टी द्वारा अपने अपने पाठ्यक्रमों की सम्पूर्ण जानकारी प्रेजेन्टेशन के माध्यम से छात्रों एवं अभिभावकों के समक्ष रखी। सर्वप्रथम रेडियोलॉजी विभाग से पूजा जोशी और ज्योति चौहान ने आज के दौर में सीटीस्कैन, एमआरआई, एसरे जैसी तकनीकों के विस्तार के बारे में बताया इसके बाद फिजियोथेरिपी विभाग से डॉ. शिवी शर्मा ने बताया कि फिजियोथेरिपी अनगिनत व्यक्तियों के लिए उपचार, पुनर्वास और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए समर्पित एक क्षेत्र है। हर दिन, आपको राहत पहुँचाने, कार्यक्षमता को बहाल करने और आशा को प्रेरित करने का अवसर मिलेगा। मेडिकल माइक्रोबायलॉजी विभाग से फैक्ल्टी दिनेश सिंह ने पीपीटी के माध्यम से बताया कि इस क्षेत्र में सूक्ष्मजीवों बैक्टीरिया, वायरस, कवक और प्रोटोजोआ का अध्ययन शामिल है। सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकी तंत्र, मानव स्वास्थ्य और बीमारी में महत्वपूर्ण भूमिका निमाते हैं। इसके बाद पैथालोजी विभाग से फैक्ल्टी नीरज बिष्ट ने बताया कि मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी को चुनने का आपका यह निर्णय यह दर्शाता है कि आप विज्ञान को आगे बढ़ाना एवं मरीजो की देखभाल में सुधार के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार है। मेडिकल के क्षेत्र में डॉक्टर आपकी द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर मरीज हित में निर्णय लेगें। इसके बाद ऑप्टोमेट्री विभाग से फैवल्टी अखिल भारद्वाज ने अपने उद्बोधन में कहा कि ऑप्टोमेट्री विज्ञान, सहानुभूति और नवाचार में डूबा हुआ पेशा है। भविष्य के ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में, आप हमारी सबसे कीमती इंद्रियों में से एक को संरक्षित करने और बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगें।
इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ० गिरीश उनियाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि सन् 1952 में श्री गुरु राम सय एजुकेशन मिशन की स्थापना ब्रहालीन श्रीमंहत इन्द्रेश चरण दास द्वारा की गई। इसके बाद श्रद्धेय देवेन्द्र दास महाराज द्वारा वर्तमान में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार सराहनीय कार्य किया जा रहा है। कॉलेज में मेधावी एवं आर्थिक रूप से कमजोर छात्र-छात्राओं के लिए फीस में छूट का प्रावधान रखा गया है। एसजीआरआर पैरामेडिकल कॉलेज, उच्च शिक्षा का एक प्रसिद्ध संस्थान है जो बौद्धिक जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा संस्थान हमेशा एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध रहा है जो न केवल अकादमिक उत्कृष्टता को पोषित करता है, बल्कि पैरामेडिकल क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आपके लिए आवश्यक व्यक्तिगत विकास भी करता है। तकनीकी कौशल के अलावा, पैरामेडिसिन का सार रोगियों से जुड़ने, उनकी ज़रूरतों को समझने और दयालु देखभाल प्रदान करने की क्षमता में निहित है। इस मौके पर प्रणव राज बमराडा, अंकित, अल्का, सुबीर, आशीष, महावीर, पूनम, कमल, कीर्ति, शशि, बालिश, रतन, शिवम, रिषभ, हिमांशु, दिव्या, तनीषा आदि मौजूद रहे।