उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले की कपकोट की निवासी 42 वर्षीय ममता कार्की ने पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण कर BDO के पद पर चयनित होकर ये साबित किया है कि अगर कुछ करना का जुनून है, तो उम्र मात्र एक नंबर लगेगी।
बता दें, ममता की प्रारंभिक शिक्षा हल्द्वानी के भारतीय बाल विद्या मंदिर से शुरू हुई और उन्होंने जीजीआईसी हल्द्वानी से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद ममता ने पंतनगर यूनिवर्सिटी से बी.टेक और दिल्ली की TERI यूनिवर्सिटी से रिन्यूएबल एनर्जी में एम.टेक किया। इतना ही नहीं बल्कि ममता ने वर्ष 2005 में लोक सेवा आयोग के माध्यम से प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति प्राप्त कर की और कई वर्षों तक इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षण किया। लेकिन वर्ष 2013 में परिवार और बच्चों की परवरिश के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी, लेकिन पढ़ाई और नए अवसरों के प्रति अपनी उत्सुकता और हौसले को हमेशा बनाए रखा। अपने निर्णय के बारे में ममता कार्की ने कहा कि कई बार महिलाओं के करियर में ऐसा समय आता है जब घर-परिवार और पेशेवर जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना कठिन हो जाता है। जब उनके बच्चों को सबसे अधिक उनकी जरूरत थी, तो उन्होंने तुरंत नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया। बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी जारी रखी और यह महसूस किया कि करियर को कुछ समय के लिए रोकना संभव है, लेकिन बाद में इसे फिर से शुरू किया जा सकता है।
ममता के पति जितेंद्र कार्की BHEL हैदराबाद में पोस्टेड हैं और वर्तमान में ममता अपने परिवार के साथ हैदराबाद में रह रही हैं। ममता ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, सास-ससुर और पति को दिया है। ममता कार्की की प्रेरणादायक कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा है जो अपने जीवन में बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला रखती हैं।