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मुख्य सड़क पर खड़ी थी एंबुलेंस, जंगल में ही महिला ने दिया बच्चे काे जन्म

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं लचर है। पहाड़ में आज की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं। पहाड़ों में न ही पर्याप्त चिकित्सक हैं, न स्टाफ। वहीं, चिकित्सा उपकरणों की स्थिति से भी सब वाकिफ है। आए दिन पहाड़ों से दुखद खबरें आती रहती हैं। वहीं अब ताजा मामला नरेंद्रनगर ब्लॉक के नौडू गांव से सामने आया है।जहां सड़क की सुविधा नहीं होने से महिला का आधे रास्ते में जंगल में ही प्रसव हो गया। हालांकि, जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। ग्रामीणों ने कहा कि सड़क की सुविधा नहीं होने से गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। गर्भवतियों या बीमार लोगों को सड़क तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत झेलनी पड़ती है।

जानकारी अनुसार, बृहस्पतिवार को नौडू गांव निवासी नीलम भंडारी (28) पत्नी गजेंद्र भंडारी को सुबह करीब आठ बजे प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने 108 को सूचित किया, लेकिन सड़क सुविधा नहीं होने से एंबुलेंस काटल चौक पर ही खड़ी रही। गांव की महिलाएं गर्भवती को 12 किमी दूर सड़क मार्ग तक पल्ली में लेटाकर सड़क तक ले जाने लगीं। गांव से करीब पांच किमी दूर लंबधार में महिला को तीव्र प्रसव पीड़ा हुई। आधे रास्ते जंगल में ही महिला का प्रसव हो गया। जहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। महिला की यह चौथी संतान है। 

बता दें, महिला का पति पंजाब के एक होटल में काम करता है। नौडू गांव में करीब 45 परिवार रहते हैं। काटल चौक तक सड़क सुविधा है। यहां से नौडू गांव की दूरी करीब 12 किमी है। वर्ष 2021-22 में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गांव में सड़क निर्माण की घोषणा थी।

वर्ष 2023 में लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर की ओर से प्रथम चरण में इसका सर्वे भी शुरू हो गया था। लेकिन, सड़क का निर्माण आज तक सर्वे से आगे नहीं बढ़ा है। स्थानीय ग्रामीण सुरेंद्र भंडारी, ओमकार सिंह, सूरत सिंह, प्यार सिंह, कमल सिंह और प्रेम सिंह ने बताया कि गांव में यदि सड़क सुविधा होती तो गर्भवतियों का प्रसव स्वास्थ्य केंद्र में होता। इस तरह आधे रास्ते मेंं प्रसव नहीं होता। कहा कि शासन-प्रशासन की उदासीनता का दंश स्थानीय ग्रामीणों को झेलना पड़ रहा है।

वहीं, इस संबंध मे अधिशासी अभियंता, लोनिवि नरेंद्रनगर विजय कुमार मोगा ने बताया कि लोक निर्माण विभाग की ओर से काटल-नौडू गांव के लिए सड़क का सर्वे कार्य किया गया है। वन भूमि होने के कारण मामला लटक रहा है। अगस्त 2024 में इसकी रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। वन विभाग से क्लीन चिट मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू होगी।


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