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नीम करोली बाबा की ये बातें दिलाएगी सफलता, पढ़ें

उत्तर नारी डेस्क 

नीम करोली बाबा 20वीं सदी के महान संत माने जातें है। जिन्हें भक्त नीम बाबा को हनुमान जी का अवतार मानते हैं। लेकिन बाबा हनुमान जी के परम भक्त थे। उनकी बारे में बताया जाता है कि वह उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में ब्राम्हण परिवार में 1900 के आसपास जन्मे थे। 

नीब करौली महाराज का वास्तविक नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उन्होंने एक गांव नीब करौरी में कठिन तप करके स्वयं सिद्धि हासिल की थी। बताया जाता है कि 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था और 1958 में बाबा ने अपने घर का त्याग कर पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे।

उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। उत्तराखण्ड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। 


कैसे हुई थी कैंची धाम की स्थापना? 

यह धाम नैनीताल की कैंची नामक जगह पर स्थित है। यहां की सड़कों का आकार कैंची जैसा होने के चलते इस जगह को यह नाम दिया गया है। बाबा नीब करौरी 1961 में पहली बार यहां आए थे। उन्होंने कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा ने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। जिसके बाद 1964 में बाबा ने यहां हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के बगल से शिप्रा नदी गुजरती है। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। जिस वजह से लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। 


नीब करौरी धाम के चमत्कारिक किस्से :- 

बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर तमाम तरह के चमत्कार भी जुड़े हैं। जनश्रुतियों के अनुसार, एक बार भंडारे के दौरान कैंची धाम में घी की कमी पड़ गई थी। बाबा जी के आदेश पर नीचे बहती नदी से कनस्तर में जल भरकर लाया गया। उसे प्रसाद बनाने हेतु जब उपयोग में लाया गया तो वह जल घी में बदल गया। ऐसे ही एक बार बाबा नीब करौरी महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुचवाया। ऐसे न जाने कितने किस्से बाबा और उनके पावन धाम से जुड़े हुए हैं, जिन्हें सुनकर लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं। बता दें बाबा ने महासमाधि के लिए वृंदावन को चुना था। नौ सितंबर 1973 को नीम करौली महाराज ने कैंची से आगरा के लिए प्रस्थान किया था। यह उनकी कैंची की अंतिम यात्रा थी। वह इसका संकेत भी दे गए। 10 सितंबर 1973 को आगरा से वृंदावन रवाना हुए, जहां 11 सितंबर को उन्होंने महासमाधि ली। बाबा नीम करौली महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं। इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है। 


बाबा के भक्तों में विदेशी भक्त भी हैं शामिल :-

बाबा के भक्तों में एक आम आदमी से लेकर अरबपति-खरबपति तक शामिल हैं। बाबा के भक्त और जाने-माने लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने मिरेकल आफ लव नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। इस पुस्तक में बाबा नीब करौरी के चमत्कारों का विस्तार से वर्णन है। इनके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी बड़ी विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं। 


नीम करोली बाबा के यह थे सिद्धांत :-

अतीत के बारे में न सोचें- नीम करोली बाबा कहते थे कि व्यक्ति को कभी भी अतीत के बारे में बहुत ज्यादा नहीं सोचना चाहिए और ना ही इसके बारे में बात करनी चाहिए। आप अपने गुजरे कल के बारे में लोगों के साथ जो बातें शेयर करेंगे वो बाद में उन्हीं बातों के आधार पर आपका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे और मौका मिलते ही नीचा दिखाएंगे।


भक्ति का मार्ग अपनाएं:- 

जब चारों ओर निराशा हाथ लग रही हो तो भक्ति का मार्ग अपनाना चाहिए क्योंकि ईश्वर की कृपा पाने का यही एक मार्ग है। ईश्वर के आशीर्वाद से सफलता मिलती है। साथ ही आत्मिक आनंद और शांति का अनुभव होता है।


प्रेम है जीवन का आधार:- 

नीम करोली बाबा कहते थे कि प्रेम के बगैर मनुष्य से लेकर पशु-पक्षी हर प्राणी का जीवन अधूरा है।प्रेम ही जीवन का आधार है।नीरस जीवन में यदि प्रेम का आगमन हो जाए तो व्यक्ति हमेशा खुश और संतुष्ट रहता है। प्रेम से ही जीवन में सकारात्मकता आती है। इसलिए हर प्राणी से प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

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