उत्तर नारी डेस्क
अच्छी नौकरी, अच्छा पैकेज और अच्छा लाइफ स्टाइल हम में से ज्यादातर लोगों का यही सपना होता है, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो किसी और सपने को पूरा करने के लिए ये सब पीछे छोड़ देते हैं। इसी क्रम मे उत्तराखण्ड के रौली गांव के नीरज भट्ट ने दो साल पहले दिल्ली में लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ खेती को अपना स्वरोजगार का जरिया बनाया और आज वह तीन तरह की खेती कर रहे हैं।
आपको बता दें कि नीरज ने कीवी फल और लिलियम फूल की खेती में बेहतर कमाई करने के बाद अब केसर की खेती शुरू की है। नीरज ने यूट्यूब से केसर की खेती का हुनर सीखा और इसका बीज कश्मीर से मंगवाया है। फिर अपने घर की छत पर नीरज ने बिना मिट्टी और पानी के कोल्ड स्टोर में केसर का उत्पादन किया है। शुरुआती चार माह में केसर उत्पादन के परिणाम भी सुखद आए हैं। नीरज बताते हैं कि उन्होंने यूट्यूब से केसर उत्पादन की जानकारी ली और करीब तीन दिन तक चंडीगढ़ में इसकी खेती का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद कश्मीर से करीब 100 किलोग्राम केसर का बीज खरीदा। उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग से इसके लिए मदद मांगी, लेकिन विभाग ने असमर्थता जताई, जिसके बाद बैंक से 10 लाख रुपये का ऋण लेकर कारोबार शुरू किया। इस केसर को प्रमाणित करने के बाद बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा।
नीरज (35) ने वर्ष 2022 में उद्यान विभाग की मदद से रौली गांव में 25 नाली भूमि पर उद्यानीकरण शुरू किया था। उन्होंने यहां लिलियम फूल के उत्पादन से कारोबार शुरू किया। इन दो सालों में वे लिलियम की 30 हजार कली बेचकर करीब पांच लाख रुपये कमा चुके हैं। इसके साथ ही वे कीवी का उत्पादन भी कर रहे हैं। उन्होंने अपने कारोबार को आगे बढ़ाते हुए ऐरोपोनिक्स विधि से केसर का उत्पादन शुरू किया। इसी वर्ष अगस्त माह में करीब 13 लाख रुपये की लागत से अपने घर की छत पर 245 स्क्वायर फीट का वाटरप्रुफ कमरा तैयार किया। इन चार महीनों में फूलों से केसर भी होने लगा है।
बताते चलें कि नीरज ने बीटेक और एमबीए की पढ़ाई की है। उनके पिता यदुनंदन भट्ट का अपना क्लीनिक है जबकि माता शिक्षिका हैं। नीरज ने बताया कि ऐरोपोनिक्स विधि से केसर के बीज लकड़ी की ट्रे में रखे जाते हैं। इसके लिए कमरे का तापमान 21 से 5 डिग्री तक होना चाहिए। रात को कमरे का तापमान 5 डिग्री तक जरूरी होता है। एक फसल चार माह में तैयार होने लगती है और केसर फूल से प्राप्त किया जाता है।