उत्तर नारी डेस्क
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा सुभाष पंत को उत्तराखण्ड साहित्य भूषण सम्मान-2024 से सम्मानित किया गया। यह संयोग है कि इससे एक दिन पहले ही राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड आंदोलन को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला लिया। श्री सुभाष पंत ने इस संयोग पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह निर्णय वास्तव में बहुत अच्छा है। वह साहित्यकारों के सम्मान और उनके कल्याण के लिए की गई घोषणाओं पर भी बेहद खुश हैं।
श्री सुभाष पंत ने कहा कि किसी भी क्षेत्र की पहचान साहित्यकारों से ही होती है। अपनी बात के समर्थन में उन्होंने रबींद्रनाथ टैगौर और बंगाल का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों की आर्थिक मजबूती पर भी ध्यान जा रहा है, यह अच्छी बात है। श्री सुभाष पंत की कई कृतियां बेहद चर्चित हैं। एक रात का फासला, छोटा हुआ आदमी, एक का पहाड़ा, पहाड़ चोर, मुन्नी बाई की प्रार्थना, पहाड़ की सुबह, सुबह का भूला, सिंगिंग बेल, इक्कीसवीं सदी की एक दिलचस्प दौड़ जैसी कृतियों ने उन्हें विशेष पहचान दिलाई है।
उन्होंने कहा कि कैसा भी दौर रहा हो, सृजन कभी रूकता नहीं है। यात्रा हमेशा आगे ही बढ़ती है, पीछे नहीं लौटती। नए साहित्यकारों को अब मंच मिल रहा है, यह शुभ संकेत है। श्री सुभाष पंत ने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की तारीफ करते हुए कहा कि वहां क्रिएटिव लोगों के आने के बाद से माहौल बदल रहा है। उन्होंने कहा कि शहादत भरे इतिहास की जानकारी हमारे बच्चों को होनी ही चाहिए। उन्हें अपनी विभूतियों के बारे में भी जानना चाहिए।