उत्तर नारी डेस्क
देवभूमि उत्तराखण्ड का हर मंदिर अपनी पौराणिक कथा के साथ एक दिव्य पहचान लिए हुए है। ऐसा ही एक मंदिर बादलों के बीच, ऊँची चोटी पर स्थित है 'कार्तिक स्वामी मंदिर'। भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित 'कार्तिक स्वामी मंदिर' रुद्रप्रयाग जिले में क्रोंच पर्वत शिखर पर स्थित है। यह मंदिर क्षेत्र विहंगम प्राकृतिक दृश्यों से परिपूर्ण है, जहां से हिमालय की मनोरम पर्वत श्रृंखलाओं के दर्शन भी होते हैं।'
बता दें, कार्तिक स्वामी नाम से मशहूर यह मंदिर बादलों के बीच बना हुआ है। यह मंदिर 3050 मीटर की ऊंचाई पर एक पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यह भारत में इकलौता ऐसा मंदिर है, जो भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय को समर्पित मंदिर है। आइए जानते हैं कार्तिक स्वामी मंदिर से जुड़ी दिलचस्प बातों के बारे में।
पौराणिक कथा
कार्तिक स्वामी मंदिर को लेकर पौराणिक कथा भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने एक बार अपने दोनों बेटों कार्तिकेय और गणेश से ब्रह्मांड की सात परिक्रमा करने को कहा था। शर्त थी कि जो सबसे पहले परिक्रमा पूरी करेगा, उसे सबसे पहले पूजे जाने का सौभाग्य मिलेगा।
कार्तिकेय ने ब्रह्मांड की अपनी यात्रा शुरू की। इधर गणेश जी ने भगवान शिव और माता पार्वती के चारों ओर परिक्रमा करते हुए कहा कि वे मेरे ब्रह्मांड तो आप हैं और मेरी परिक्रमा पूरी हुई। उनकी बुद्धिमत्ता से प्रभावित होकर भगवान गणेश को सबसे पहले पूजे जाने का वरदान मिला। तभी से हर शुभ कार्य में गणेश पूजा सर्वप्रथम होती है।
दूसरी तरफ जब कार्तिकेय ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के बाद वापस आए तो उन्हें गणेश जी वाली बात पता चली। इससे क्रोधित होकर कार्तिकेय ने भगवान शिव को श्रद्धा के रूप में अपना मांस और हड्डियाँ अर्पित कर दीं। इसीलिए कार्तिकेय स्वामी मंदिर में भगवान कार्तिकेय की हड्डियों की पूजा की जाती है।
सबसे खूबसूरत सनराइज
अगर आपको अपने जीवन का सबसे खूबसूरत सनराइज देखना है, तो आपको यहां सुबह 5:30 बजे से पहले पहुंचना होगा। इस वक्त यहां उगते हुए सूरज को देखना मन को खुश कर देता है।
कब जाएं कार्तिक स्वामी मंदिर
अगर आप कार्तिकस्वामी मंदिर जाना चाहते हैं तो अक्टूबर से जून तक का समय बहुत अच्छा है। अक्टूबर और नवंबर के बीच यहां कार्तिक पूर्णिमा पर उत्सव मनाया जाता है, आप इसमें शामिल हो सकते हैं।
कैसे पहुंचें कार्तिक स्वामी मंदिर
कार्तिक स्वामी मंदिर पहुंचने के रास्ते दो तरफ से हैं। एक रास्ता ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचकर है। एक रास्ता रामनगर और रानीखेत से चौखुटिया, गैरसैंण, कर्णप्रयाग, गौचर होते हुए रुद्रप्रयाग पहुंचाने वाला है। दोनों ही रास्तों से आपको बस और टैक्सी मिल जाएंगी। हालांकि रामनगर वाले रास्ते से कर्णप्रयाग तक बस या फिर बुकिंग वाली टैक्सी यातायात का साधन हैं। ऋषिकेश से बसें और टैक्सियां बहुतायत में चलती हैं। रुद्रप्रयाग से कार्तिक स्वामी मंदिर करीब 40 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग-पोखरी मार्ग पर है। रुद्रप्रयाग से टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या शेयर्ड टैक्सी से भी जा सकते हैं। कनकचौरी गांव से 3 किलोमीटर का ट्रैक जाता है। इस ट्रैक पर चलने से हिमालय पर्वतमाला के शिखर जैसे त्रिशूल, नंदा देवी और चौखंभा जैसे नजारे देखने को मिलते हैं।
ध्यान रखें ये बातें
कार्तिक स्वामी मंदिर जा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि यहां ठहरने के ज्यादा विकल्प नहीं है। इसलिए आपको कनकचौरी गांव में बने होटल्स में स्टे करना होगा। आप चाहें, तो रुद्रप्रयाग के किसी होटल में भी स्टे कर सकते हैं।