उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड में डेंगू की रोकथाम को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सक्रिय है। वहीं डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी कमान संभाल ली है।
जिसके क्रम में जिलाधिकारी सविन बंसल ने साफ चेतावनी दी है कि अगर किसी घर, दुकान, होटल, रिसॉर्ट, सार्वजनिक स्थल या किसी भी परिसर में पानी जमा मिला, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ तुरंत चालान की कार्रवाई की जाएगी।
इसके साथ ही डेंगू की रोकथाम के लिए जिलाधिकारी ने दून नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, पंचायती राज और ग्रामीण विकास विभाग सहित कई विभागों को मिलकर काम करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में घर-घर सर्वे, स्कूल परिसरों की नियमित सफाई और व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाना आवश्यक है।
प्रशासन का ध्यान अब होटल, रिसॉर्ट, धर्मशालाओं और सार्वजनिक स्थलों पर भी है। डीएम ने स्पष्ट कहा कि स्विमिंग पूल, रूम कूलर, सजावटी फाउंटेन, गुलदस्ते और सेंट्रल एसी प्लांट्स की नियमित सफाई की जाए। खासतौर पर रिहायशी इलाकों में छतों पर पड़े पुराने टायर और प्लास्टिक शीट में पानी न जमा होने दिया जाए।
डेंगू क्या है?
डेंगू बुखार, जिसे आमतौर पर हड्डी तोड़ बुखार के रूप में भी जाना जाता है, एक फ्लू जैसी बीमारी है, जो डेंगू वायरस के कारण होती है। यह तब होता है, जब वायरस वाला एडीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है।
डेंगू के लक्षण :-
सिर दर्द
मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द
जी मिचलाना
उल्टी लगना
आंखों के पीछे दर्द
ग्रंथियों में सूजन
त्वचा पर लाल चकत्ते होना
तीन प्रकार के बुखार होते हैं, जिनसे व्यक्ति को खतरा होता है, जो इस प्रकार हैं – हल्का डेंगू बुखार, डेंगू रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम।
हल्का डेंगू बुखार - इसके लक्षण मच्छर के दंश के एक हफ्ते बाद देखने को मिलते हैं और इसमें गंभीर या घातक जटिलताएं शामिल हैं।
डेंगू रक्तस्रावी बुखार - लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे कुछ दिनों में गंभीर हो सकते हैं।
डेंगू शॉक सिंड्रोम - यह डेंगू का एक गंभीर रूप है और यहां तक कि यह मौत का कारण भी बन सकता है।
डेंगू का उपचार:- टायलेनोल या पैरासिटामोल जैसी दर्द निवारक दवाएं आमतौर पर रोगियों को दी जाती हैं। गंभीर डिहाइड्रेशन के मामले में कभी-कभी आईवी ड्रिप्स प्रदान की जाती हैं।
हाइड्रेटेड रहें : यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे शरीर के अधिकांश तरल पदार्थों का उल्टी और तेज बुखार के दौरान ह्रास हो जाता है। तरल पदार्थों के लगातार सेवन से यह सुनिश्चित हो जाता है कि शरीर आसानी से डिहाइड्रेट नहीं होगा।
स्वच्छता : स्वच्छता का अत्यधिक महत्व है, तब तो और भी ज्यादा जब आप स्वस्थ नहीं होते हैं। मरीज यदि नियमित स्नान नहीं कर सकता तो स्पंज से स्नान का विकल्प चुन सकता है। नहाने के लिए उपयोग किए जा रहे पानी में डेटॉल जैसे कीटाणुनाशक तरल की कुछ बूंदें मिलाएं। यह भी सलाह दी जाती है कि अस्पताल में मरीज को देखने से पहले और बाद में डेटॉल जैसे किसी हैंड सैनिटाइजर से अपने हाथ साफ करें। कपड़ों के रोगाणुओं से छुटकारा पाने के लिए रोगी के कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को डेटॉल से कीटाणुरहित करें।