उत्तर नारी डेस्क
मौजूदा दौर में बेटियां अपनी शिक्षा और हुनर से कामयाबी की इबारत लिख रही हैं। हर क्षेत्र में बढ़-चढ़ कर अपना योगदान दे रही हैं। साथ ही देश विदेश में देवभूमि का नाम रोशन भी कर रही हैं। इसी कड़ी में अब कोटद्वार की डॉ. स्मिता पुरी तिवारी का नाम भी शामिल हो गया है।
आपको बता दें, डॉ. स्मिता पुरी तिवारी ने कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में मसूर की रिकॉर्डतोड़ किस्म ‘JL6-3’ विकसित कर सफलता हासिल की है और क्षेत्र का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। इन दिनों डॉ. तिवारी द्वारा विकसित मसूर की नई किस्म ‘JL6-3’ को भारत सरकार ने 13 मई 2025 को अपने गजट में औपचारिक रूप से जारी किया है। यह किस्म मध्य भारत के मसूर उत्पादक किसानों के लिए एक क्रांतिकारी विकल्प बन सकती है। ‘JL6-3’ न केवल उच्च उत्पादन देती है, बल्कि यह कई रोगों एवं प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति बेहतर प्रतिरोध भी दर्शाती है। हमारे देश को प्रोटीन की कमी वाले देशों में गिना जाता है और इस संबंध में विश्व खाद्य संगठन भी समय-समय पर चिंता व्यक्त करता रहा है। ऐसे समय में दालों की उन्नत किस्मों का विकास देश की खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत आवश्यक है।
बताते चलें, वर्तमान में स्मिता जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के अंतर्गत जिला सागर स्थित अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर कार्यरत हैं।डॉ. स्मिता की प्रारंभिक शिक्षा कोटद्वार में हुई, जबकि उच्च शिक्षा उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर से प्राप्त की। डॉ. स्मिता तिवारी के पिता पूरन चंद पुरी, एक व्यवसायी और समाजसेवी हैं।