उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड मामले में 30 मई 2025 शुक्रवार के दिन लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हत्याकांड के तीनों आरोपियों पुलकित, अंकित और सौरभ को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) में आजीवन कारावास की कठोर सजा सुनाई है।
लगभग दो साल और आठ महीने के बाद, कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत में यह फैसला सुनाया और हत्याकांड के तीनों आरोपियों को हत्या, साक्ष्य छिपाने, और अनैतिक देह व्यापार जैसे गंभीर आरोपों में दोषी करार दिया गया। तीनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, साथ ही प्रत्येक पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
सजा का ऐलान होने के बाद जब कोर्ट से अंकिता भंडारी के हत्यारों को बाहर लाया गया तो हत्यारा सौरभ भास्कर कोर्ट से अपनी सजा सुनकर जब बाहर आया तो इस बीच एक वायरल वीडियो ने हर किसी का ध्यान अपनी और खींचा। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि सौरभ भास्कर मुस्कुराता हुआ बाहर आया और पुलिस वाहन में बैठने से पहले आमजन की तरफ हाथ हिलाकर अभिवादन करता नजर आया। हत्यारा सौरभ भास्कर की यह करतूत कैमरे में कैद हो गई।
इस वीडियो से हर किसी के मन में आक्रोश है... । सवाल है ? कि जो नजरे हत्या जैसा जघन्य अपराध के बाद झुकी होनी चाहिए। जिस चेहरे पर शर्मिंदगी दिखनी चाहिए वह चेहरा खुशी के साथ हंसता हुआ बाहर आ रहा है। सौरभ भास्कर के इस कृत्य से ऐसा प्रतीत होता है कि उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। साथ ही उसे उम्रकैद की सजा बेहद मामूली लगी है तभी तो वह सजा पाने के बाद भी हंस रहा है। यह एक ऐसी मानसिकता को दर्शाता है जो बेहद निंदनीय है। सवाल आज भी वहीं है कि क्या इस अपराध के लिए उम्र कैद की सजा सही है ? या फिर कुछ समय बाद इन अपराधियों को पैरोल मिल जाएगी ?
क्या इनकी ये हंसी अंकिता भंडारी, उसके परिजनों और उन सब बेटियों के मुंह पर तमाचा है जो घरों से बाहर निकालकर शहरों में अपने सपनों को पूरे करने के लिए जाती है। क्या इनकी इस हंसी से ये अंदाजा लगाया जाए की अभी भी बेटियां सुरक्षित नहीं है। लेकिन क्या यह सजा अंकिता के परिवार के उन जख्मों को भर पाएगी? जो जख्म, जो दर्द इन अपराधियों ने उन्हें दिया है। क्या यह सजा वाक्य में इंसाफ है उस बेटी को जिसका जीवन इन हत्यारों ने खत्म कर दिया।
वहीं, अब सवाल ये खड़ा होता है कि क्या यह सजा उस पीड़ा के बराबर है जो अंकिता और उसके परिवार ने झेली? जब दोषी करार दे दिया है तो इन तीनों दरिंदो को फांसी की सजा क्यों नहीं दी गई? क्या पुलकित आर्या और उसके साथियों को बार बार पैरोल मिलती रहेगी?
अंकिता की कहानी सिर्फ एक हत्याकांड की कहानी नहीं है, यह एक सवाल है कि हमारा समाज आज भी अपनी बेटियों को कितना सुरक्षित रख पा रहा है, हर उस बेटी को जो अपने हक के लिए और आत्मसम्मान के लिए लड़ती हैं, भले ही आत्मसम्मान के लिए खड़ा होना उनकी जिंदगी पर ही भारी क्यों न पड़ रहा हो। क्या यह फैसला महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों में कोई बदलाव ला पाएगा?
क्या था ? पूरा मामला
पौड़ी गढ़वाल की श्रीकोट डोभ नाम के एक छोटे से गाँव में, एक साधारण परिवार में जन्मी अंकिता भंडारी का जन्म 11 नवंबर 2003 को हुआ था, 19 वर्षीय अंकिता ने परिवार की आर्थिक तंगी को देखते हुए, अपने कंधों पर जिम्मेदारी उठाने की सोची और देहरादून से होटल मैनेजमेंट का डिप्लोमा लिया। 28 अगस्त 2022 को अंकिता को ऋषिकेश के पास यमकेश्वर में वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिली। ये रिजॉर्ट पुलकित आर्य का था।
अंकिता इस रिजॉर्ट में 28 अगस्त 2022 से नौकरी कर रही थी, लेकिन बीती 18 सितंबर को अंकिता संदिग्ध तरीके से लापता हो गई। पुलकित आर्य समेत तीन लड़कों पर आरोप लगा था कि वे घूमने के बहाने अंकिता को अपने साथ ले गए थे। बाद में वे तो लौट आए, लेकिन अंकिता उनके साथ नहीं थी। इसके पांच दिन 23 सितंबर को अंकिता का शव ऋषिकेश के पास चील्ला नहर से बरामद किया गया था।
मामले में जब पुलिस ने सभी पहलुओं पर जांच की तो पता चला कि आरोपी पुलकित आर्य और अन्य आरोपी अंकिता पर दबाव बना रहे थे। सामने आया था कि अंकिता पर रिजॉर्ट में ग्राहकों को “विशेष सेवा” देने के लिए मजबूर किया जा रहा था।
पोस्टमार्टम ने खुलासा किया कि अंकिता की मौत डूबने से 18 सितंबर को हुई थी, और उसके शरीर पर चोटों के निशान थे, जो एक भयावह कहानी बयान कर रहे थे। पुलिस ने इस मामले में 22 सितंबर 2022 को पुलकित, अंकित और सौरभ को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद शासन के निर्देश पर मामले को रेगुलर पुलिस के हवाले कर दिया गया।
करीब दो साल और आठ महीने तक चली इस सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से जांच अधिकारी समेत 47 गवाह अदालत में पेश किए गए। हालांकि, एसआईटी ने इस मामले में 97 गवाह बनाए थे, जिनमें से 47 अहम गवाहों को ही अदालत में पेश किया गया। गत 19 मई को अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी की ओर से बचाव पक्ष की बहस का जवाब देकर सुनवाई का सिलसिला समाप्त किया गया था।
एसआईटी जांच के बाद अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में 500 पेज का आरोपपत्र दाखिल किया गया। तीनों हत्यारोपियों रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके कर्मचारी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता पर आरोप तय होने के बाद 28 मार्च 2023 से अभियोजन पक्ष की गवाही शुरू हुई थी।
बीती 19 मई को एडीजे कोर्ट ने अंकिता हत्याकांड मामले की सुनवाई पूरी करते हुए फैसले के लिए 30 मई की तिथि निर्धारित की थी। अदालत ने सजा के प्रश्न पर दोनों पक्षों को सुना। 30 मई 2025 को शुक्रवार के दिन अदालत ने दोषी करार करते हुए आरोपियों को सजा सुनाई। तीनों आरोपियों को धारा 201 (साक्ष्य छुपाना) में पांच साल का कठोर कारावास व दस-दस हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया गया है।
अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत भी तीनों आरोपी दोषसिद्ध पाए गए हैं, जिसमें तीनों को पांच-पांच साल का कठोर कारावास व दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। पुलकित आर्य को धारा 354 (ए) (छेड़खानी व लज्जा भंग) में भी दोषी पाते हुए दो वर्ष का कठोर कारावास व 10 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई है। अदालत ने मृतका के माता पिता को चार लाख रुपये बतौर प्रतिकर भुगतान करने के निर्देश सरकार को दिए।