उत्तर नारी डेस्क
लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग की वर्षों पुरानी मांग कोटद्वार क्षेत्र से फैलकर अब दिल्ली तक पहुंच गई है। पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण थापा द्वारा इस मार्ग निर्माण को लेकर चलाई गई मुहिम में पहले ही दिन से लोग जुड़ते चले गए।
कोटद्वार से 31 अगस्त को तमाम जनता जनार्दन द्वारा भी अपना सहयोग दिखाते हुए लाखों की संख्या में चिल्लर-खाल से मालवीय उद्यान तक एक विशाल जन चेतना रैली का आयोजन कर आंदोलन को आगे बढ़ाया गया। जिसमें बड़ी संख्या में आम जनता सहित कई संगठन शामिल हुए और लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग की मांग का ज्ञापन उपजिलाधिकारी कोटद्वार के माध्यम से प्रधानमंत्री और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को दिया गया।
इसी क्रम में अब आंदोलन को और भी मजबूत करने के लिए 7 सितंबर 2025 को रविवार के दिन दिल्ली के जंतर मंतर में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। जिसमें कोटद्वार और दिल्ली के आसपास के कई लोग इस धरने में शामिल होकर लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग की वर्षों पुरानी मांग को शासन, प्रशासन तक पहुंचाएंगे।
"एक ही लक्ष्य, एक ही नारा — लालढांग चिल्लरखाल मार्ग बने हमारा"
आपको बता दें, लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग की मांग को लेकर कोटद्वार के पत्रकार व सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण थापा द्वारा 02 अगस्त 2025 से पैदल पद यात्रा कर 12 तारीख को जंतर मंतर दिल्ली पहुंचे। इस मांग को लेकर उनका एक ही लक्ष्य था कि अति महत्वपूर्ण लाल-ढांग चिल्लर खाल मार्ग को किस तरह राष्ट्रीय पटल पर लाया जाए जिसे लेकर उन्होने छोटी सी कोशिश की उनका कहना है कि "जब तक सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात नहीं होगी, तब तक लौटना नहीं।
लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग को बनाने की इस मुहीम में प्रवीण थापा का साथ कोटद्वार से सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने कानूनी तौर पर दिया और इस मार्ग को लेकर अपने बेबाक बयान दिए और सरल शब्दों मे इसकी रुकावट पर बात कही। अब वह इस केस को लड़कर शासन-प्रशासन तक इस मांग को पहुंचा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कोटद्वार की जनता से भी अपील करी है कि ज्यादा से ज्यादा मात्रा में इस मार्ग के निर्माण को लेकर उनका सहयोग दें।
लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग क्यों जरूरी हैं ?
लालढाग-चिल्लर खाल मोटर मार्ग न बनने से उत्तराखण्ड के लोगों को नजीबाबाद उत्तर प्रदेश होते हुए लंबी दूरी तय कर देहरादून जाना पड़ता है। जबकि यह मार्ग बनने से कम समय में देहरादून पहुंचा जा सकेगा।
लगभग सन 1965 से यह मार्ग अस्तित्व में है और इस मोटर मार्ग पर तब से ही यात्री वाहनों का संचालन होता आया है हालंकि यह सड़क बरसात के मौसम के दौरान बंद हो जाती है, इस कारण कोटद्वार व पहाड़ी क्षेत्रों से देहरादून जाने वाले यात्रियों को यूपी के नजीबाबाद से होकर जाना पड़ता है।
इस मार्ग के बनने से कोटद्वार भाबर क्षेत्र के नयागांव, मोल्हापुरी, रसूलपुर व अन्य गांवों के लोगों को 11 से 20 किलोमीटर पैदल चलने की मजबूरी से राहत मिल सकेगी। वहीं पर्यटन की दृष्टि से भी क्षेत्र के सुलताना भांडू, कण्वाश्रम, महाबगढ़ व मालिनी नदी घाटी तक यह मार्ग महत्वपूर्ण साबित होगा।