उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के यमकेश्वर ब्लाक के रहने वाले डॉ. संदीप लखेड़ा को विश्वविख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठित ‘विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों की सूची (2025)’ में शामिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है। यह सूची विश्वभर के वैज्ञानिकों का चयन उनके शोध कार्य, प्रकाशित लेखों, उद्धरणों, और h-इंडेक्स जैसे महत्वपूर्ण वैज्ञानिक मानकों के आधार पर करती है। इस सूची में स्थान प्राप्त करना किसी भी शोधकर्ता के लिए अत्यंत सम्मान की बात है, क्योंकि यह उनके वैज्ञानिक योगदान की गुणवत्ता, नवाचार और वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।
आपको बता दें, डॉ. लखेड़ा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पौड़ी गढ़वाल के विभिन्न विद्यालयों से प्राप्त की, जिनमें बुधौली स्कूल, यमकेश्वर, श्री गुरु राम राय इंटर कॉलेज, दीउला पौखाल, सरस्वती विद्या मंदिर, कोटद्वार और जीआईसी कोटद्वार शामिल हैं। इसके पश्चात उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी और एमएससी की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर से क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में एम टैक की उपाधि प्राप्त की, जहां उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु इंस्टीटयूट सिल्वर मेडल से सम्मानित किया गया।
उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका गए, जहां उन्होंने एप्लाइड साइंसेज में एमएस और तत्पश्चात नैनोटेक्नोलॉजी में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उनका शोध मुख्य रूप से ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा पर केंद्रित रहा, जो वर्तमान और भविष्य की स्वच्छ ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक विषय है।
आपको बता दें, वर्तमान में वे SRM Institute of Science and Technology, चेन्नई (जो NIRF-2025 रैंकिंग में भारत के शीर्ष 12 विश्वविद्यालयों में शामिल है) में भौतिकी और नैनोटेक्नोलॉजी विभाग में फैकल्टी सदस्य के रूप में कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त, वे अमेरिका के The College of William and Mary, वर्जीनिया में Graduate Research Assistant के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के AICTE द्वारा डॉ. लखेड़ा को Chhatra Vishwakarma Award (2022) से भी सम्मानित किया गया, जो उन्हें शिक्षक दिवस के अवसर पर प्रदान किया गया।
डॉ. लखेड़ा का शोध कार्य मुख्यतः निम्नलिखित क्षेत्रों पर केंद्रित है जैसे सौर ऊर्जा रूपांतरण, ग्रीन हाइड्रोजन ऊर्जा का उत्पादन, नाइट्रोजन/नाइट्रेट से अमोनिया (उर्वरक) का निर्माण।



