उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के कई इलाकों में बादल फटने और तेज बारिश की वजह से रास्ते बंद चल रहे हैं। जिसके कारण उत्तराखण्ड की ओपन यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से बीएड परीक्षा देने जा रहे चार छात्रों के सामने संकट खड़ा हो गया। फिर उन्होंने परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के लिए एक अनोखा तरीखा निकाला। जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर तारीफ हो रही है।
बता दें, उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी, हल्द्वानी में राजस्थान के चार छात्र पढ़ते हैं उमरम जाट, मगराम जाट, प्रकाश गोदारा जाट और लकी चौधरी। ये लोग बीते सोमवार को मुनस्यारी पहुंचे थे। बुधवार को उनका गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में परीक्षा थी। हल्द्वानी-पिथौरागढ़ और टनकपुर-पिथौरागढ़ के रास्ते बंद होने के कारण कोई भी टैक्सी ड्राइवर उन्हें वहां ले जाने के लिए तैयार नहीं था। ऐसे में उन्हें परीक्षा छूटने की चिंता होने लगी। इसके बाद उन्होंने हल्द्वानी-मुनस्यारी हेली सेवा संचालित करने वाली कंपनी से संपर्क किया और मदद की गुजारिश की। उन्होंने बताया कि परीक्षा छूटने से उनकी एक साल की मेहनत बेकार हो जाएगी। एक एविएशन कंपनी ने विशेष व्यवस्था की और दो पायलटों के साथ एक हेलीकॉप्टर भेजा। छात्र हेलीकॉप्टर से सुरक्षित रूप से मुनस्यारी के आर.एस. टोलिया पीजी कॉलेज पहुंचे, परीक्षा दी और उसी तरह वापस हल्द्वानी लौट आए। उन्होंने हेली सेवा उपलब्ध कराने के लिए सीईओ रोहित माथुर के साथ पायलट प्रताप सिंह का आभार जताया है।
हल्द्वानी से मुनस्यारी को पिछले एक वर्ष से हेली सेवा चल रही है। जिसके लिए एक व्यक्ति का किराया 5 हजार दौ सौ रुपये है। परीक्षा देने आये एक छात्रों का आने जाने में 10 हजार 400 रूपये खर्च हुए हैं। अब ये चारों छात्र सुर्खियों में बने हुये हैं।
राजस्थान के बालोतरा जिले के निवासी ओमाराम चौधरी, मगाराम चौधरी, प्रकाश चौधरी, लकी सियोल ओर नरपत सारण ये सभी उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी से पत्राचार बीएड कर रहे हैं। हालांकि यह पहले से ही सरकारी नौकरी (थर्ड ग्रेड टीचर) में हैं और 3 सितंबर को अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा होनी थी। जिसके चलते यह चारों 1 सितंबर को बालोतरा से जोधपुर होते हुए ट्रेन से उत्तराखण्ड के लिए रवाना हुए और 2 सितंबर को हल्द्वानी पहुंचे। भारी बारिश और भूस्खलन के कारण, मुनस्यारी के आरएस टोलियां पीजी कॉलेज परीक्षा सेंटर जाने के लिए सारे रास्ते बंद थे। ऐसे में परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं के बावजूद, उन्होंने हार मानने के बजाय एक अभिनव समाधान खोजा।



