उत्तर नारी डेस्क
जयहरीखाल : भक्तदर्शन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का आयोजन किया। यह कार्यक्रम हर साल मई और अक्टूबर माह के दूसरे शनिवार को मनाया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना और उनके संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता अंतर्राष्ट्रीय पक्षी वैज्ञानिक एवं गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. दिनेश चंद्र भट्ट ने प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "यह दिन प्रवासी पक्षियों को सामने आने वाले खतरों, उनके पारिस्थितिक महत्व और उनके संरक्षण के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करता है।"
प्रोफेसर भट्ट ने बताया कि आज के समय में प्रवासी पक्षियों का जीवन कई खतरों से घिरा हुआ है, जिसमें आवास का नुकसान, प्रकाश प्रदूषण, पक्षी-इमारत टकराव और अन्य मानवीय गतिविधियां शामिल हैं। उन्होंने बताया कि लाखों वर्षों से हिमालय के उत्तरी क्षेत्रों से प्रवासी पक्षी हर साल अक्टूबर में भारत में आते हैं और यहां जलाशयों और जंगलों में शरण लेते हैं।
उन्होंने आगे कहा, "हम पक्षी-अनुकूल उपायों को अपनाकर, जैसे स्वस्थ आवास बनाना, पक्षियों को भोजन व पानी उपलब्ध कराना, और कांच वाली इमारतों से टकराव को कम करने के उपाय कर सकते हैं।" प्रोफेसर भट्ट ने हिमालय के उत्तरी क्षेत्र जैसे चीन, मंगोलिया, रूस, साइबेरिया और कजाकिस्तान से आने वाले प्रवासी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के बारे में भी जानकारी दी, जैसे कि कैलाश मानसरोवर क्षेत्र से राजहंस, चकवा-चकवी, साइबेरियन क्रेन और कई अन्य प्रजातियां।
कार्यक्रम में विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राएं, प्राचार्य प्रोफेसर लवनी रानी राजवंशी, एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. मोहन कुकरेती एवं श्रीमती श्रद्धा भारती सहित विज्ञान संकाय के डॉ. राकेश द्विवेदी, डॉ. पवनिका चंदोला एवं सुश्री दीपिका आदि सदस्यों ने भाग लिया।



