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वन्य जीव संरक्षण से पहले पर्वतीय जन संरक्षण आवश्यक : अनुराग कंडवाल

उत्तर नारी डेस्क 


नन्ही दुनिया भावी राष्ट्र के अध्यक्ष एवं डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल हिमालयन राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के छात्र संघ महासचिव अनुराग कंडवाल ने छात्र संघ चुनाव में विजय प्राप्त करने के बाद पहली बार अपने मूल गांव ग्राम बनाली का दौरा किया।

ग्राम पहुंचकर उन्होंने कुलदेवी मां अन्नपूर्णा भगवती की पूजा-अर्चना कर पुष्पांजलि एवं प्रसाद अर्पित किया। इसके बाद उन्होंने पूर्व जिला पंचायत सदस्य श्री गणेश कंडवाल को माल्यार्पण कर सम्मानित किया। सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कि “श्री गणेश कंडवाल जी सादगी, सरलता एवं स्नेह की प्रतिमूर्ति हैं। लगातार तीन बार ग्राम प्रधान पद को सुशोभित करते हुए उन्होंने अद्भुत कार्य किए हैं, जो नितांत सराहनीय एवं प्रशंसनीय हैं।”

अनुराग कंडवाल ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना एवं गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने का श्रेय श्री गणेश कंडवाल को जाता है, जो क्षेत्रीय जनमानस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

दौरे के दौरान अनुराग कंडवाल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दिन के समय बाघ के गुर्राने की आवाज सुनना अत्यंत भयावह और चिन्ता जनक संकेत है। उन्होंने कहा कि जगह–जगह गुलदार और बाघ के हमलों से लोगों की मौत की घटनाएं लगातार सुनाई दे रही हैं, लेकिन शासन-प्रशासन आज भी गहरी नींद में है।

उन्होंने स्पष्ट कहा —

> “आज वन्य जीव संरक्षण से पहले पर्वतीय जन संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। गांवों में लोग खेती नहीं कर पा रहे हैं — सुअर और बंदर फसल नष्ट कर देते हैं, और दूसरी तरफ बाघ का निरंतर भय बना रहता है। ऐसे में वन्य जीव कानून को सरल और व्यावहारिक बनाने की आवश्यकता है।”

अनुराग कंडवाल ने आगे कहा कि नरभक्षी/मानव जीवन के लिए खतरा बने बाघ से सुरक्षा संबंधी निर्णय का अधिकार ग्राम प्रधान, पट्टी पटवारी, रेंजर और एसडीएम के अधिकार क्षेत्र में होना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय जनता को त्वरित न्याय मिल सके और किसी भी खतरे की स्थिति में निर्णय लेने में देरी न हो।

उन्होंने गांव की बिजली व्यवस्था पर भी गंभीर चिंता जताई और कहा  “गांव में रात होते ही कई बार लाइट चली जाती है जिससे बाघ के हमले का खतरा और बढ़ जाता है। ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए गांव में निरंतर एवं निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए।”

अनुराग कंडवाल ने कहा कि सरकार को अब पहाड़ की वास्तविक समस्याओं की ओर ध्यान देना होगा, अन्यथा ग्रामीण पलायन के लिए मजबूर होते जाएंगे।

Comments

  1. उत्तम विचार! अभिनन्दन एवं साधुवाद

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