उत्तर नारी डेस्क
जल्दबाज़ी पत्रकारिता का हश्र भी बुरा कर रही है और राजनीति का भी। दरअसल कहीं भी जल्दबाज़ी अच्छी नही होती। इसी चक्कर में कांग्रेस के एक अच्छी सोच समझ वाले गंभीर, विद्वान, जनसरोकारी और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश भी फंस गए थे। जब उन्होंने 2019 के आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के छोटे बेटे विवेक डोभाल के ख़िलाफ़ बिना खुद की जांच पड़ताल किए एक न्यूज़ वेबसाइट कारवां की रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगा दिए। बता दें, कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद अब उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल से बिना शर्त माफी मांग ली है। कोर्ट में उनकी सफ़ाई ये थी
"मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि इन बयानों या आरोपों को द कारवां पत्रिका में पिछले दिन प्रकाशित एक लेख से निष्कर्ष निकाला गया था। जैसा कि मामला आगे बढ़ा, मुझे एहसास हुआ कि शायद कुछ स्वतंत्र सत्यापन क्रम में हो सकते हैं।
हालाँकि, आम चुनाव नज़दीक थे और लेख में उठाए गए सवाल आपके (विवेक) और आपके परिवार के ख़िलाफ़ कुछ खास बातें बताने के लिए उपयुक्त थे। इस प्रकार, मैं आपके और आपके परिवार को किसी भी आहत बयान के लिए अपनी माफ़ी की पेशकश करना चाहूंगा। मैं उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध प्रेस कॉन्फ्रेंस को हटाने के लिए INC से भी आग्रह करूंगा। '
बता दें, इस मामले को लेकर कारवां पत्रिका के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस चलता रहेगा। वहीं, राउज एवेन्यू कोर्ट के एडिशनल मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जज सचिन गुप्ता के सामने पेशी के दौरान जयराम रमेश ने कहा, मैंने विवेक के खिलाफ बयानबाजी की थी और चुनाव के माहौल में कई बयान दिए थे। मुझे ऐसा करने से पहले उन्हें वेरिफाई करना चाहिए था।