उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी जनपद में देश का पहला हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र आकार लेने जा रहा है।
जी हां, आपको बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, वन मंत्री हरक सिंह रावत और वन अधिकारियों के बीच हुई बैठक में यह फैसला लिया गया था। इसके द्वारा वन्यजीवों की लुप्त हो रही प्रजातियों का संरक्षण और विंटर टूरिज्म को बढ़ावा देने की सरकार ने योजना तैयार की थी।
जिसके तहत केंद्र निर्माण के लिए डिजाइन और ड्राइंग लगभग तैयार कर ली गई है। जिसके अनुरूप कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग द्वारा डीपीआर तैयार की जा रही है।
विशेषज्ञों की माने तो यह हिम तेंदुवा संरक्षण केंद्र पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होगा। जहां ईंट की बजाए पत्थर, मिट्टी और लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्र के निर्माण में कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए न्यूनतम कार्बन फुटप्रिंट का ध्यान रखा जाएगा।
बताते चलें की कार्बन फुटप्रिंट किसी एक संस्था, व्यक्ति या उत्पाद द्वारा किया गया कुल कार्बन उत्सर्जन होता है। यह उत्सर्जन कार्बन डाइ ऑक्साइड या ग्रीनहाउस गैसों के रूप में होता है।
ग्रामीण निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विभुविश्वमित्र रावत ने बताया कि केंद्र के लिए डीपीआर बनाने का काम चल रहा है। जिसमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए न्यूनतम सीमेंट, सरिया का प्रावधान किया गया है। केंद्र के निर्माण में ईंट की बजाए पत्थर, लकड़ी और मिट्टी का इस्तेमाल किया जाएगा। डीएफओ दीपचंद आर्य का कहना कि केंद्र निर्माण के लिए प्रक्रिया गतिमान है।
जहां केंद्र निर्माण के लिए डिजाइन व ड्राइंग बन गई है। लगभग सवा तीन करोड़ रुपये से बनने वाले केंद्र की डीपीआर बनाने का काम आरडब्ल्यूडी कर रहा है। साथ ही ईको टूरिज्म व एडवेंचर को बढ़ावा मिलने से केंद्र से लगे हर्षिल, धराली व बगोरी गांवों के लोगों को भी रोजगार मिलेगा ऒर केंद्र के बनने से पर्यटक भी आकर्षित होंगे।