उत्तर नारी डेस्क
सावन शुरू होने में अब बस चंद दिन बाकी है। ऐसे में शिवभक्तों के लिए कावंड़ यात्रा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मामले में एहतियात बरतते हुए बयान दे रहे हैं। प्रदेश में कांवड़ यात्रा के सवाल पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा लोगों की आस्था का विषय है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बीच कांवड़ यात्रा के कारण श्रद्धालुओं को अपनी जिंदगी गंवानी पड़े तो भगवान को भी यह अच्छा नहीं लगेगा। इसलिए लोगों की जान बचाना हमारी प्राथमिकता है।
बता दें कोरोना के कारण पिछले साल कांवड़ यात्रा स्थगित कर दी गई थी। हाल में यहां पुलिस अधिकारियों की अंतरराज्यीय समन्वय बैठक में भी यह राय बनी थी कि कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए कांवड़ यात्रा को स्थगित रखना चाहिए। वहीं उत्तराखण्ड डीजीपी अशोक कुमार ने प्रदेश के पड़ोसी राज्यों से आने वाले कांवड़ियों से अनुरोध किया है कि वह कांवड़ लेकर उत्तराखण्ड के किसी भी शहर में प्रवेश न करें। कहा कि हरिद्वार में कांवड़ियों की एंट्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। जी हाँ बता दें कि हर साल जुलाई में कांवड़ यात्रा शुरू हो जाती है, जो अगस्त की शुरूआत तक चलती है। इस एक पखवाड़े के दौरान उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों से लाखों शिव भक्त गंगा जल लेने के लिए हरिद्वार आते हैं। गंगा जल से वह अपने गांवों और घरों में शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कांवड़ यात्रा केवल उत्तराखण्ड का विषय नहीं है। इसमें यूपी, दिल्ली, हरियाणा, एमपी से कांवड़िए आते हैं। उत्तराखण्ड सिर्फ एक मेजबान राज्य है। कांवड़ यात्रा के 15 दिनों में 3 करोड़ से अधिक कांवड़िए राज्य का दौरा करते हैं। उन्होंने कहा बात आस्था की है, लेकिन लोगों की जिंदगी भी इसमें दांव पर है। जीवन बचाना हमारी पहली प्राथमिकता है। अगर कांवड़ यात्रा के कारण लोग कोरोना से अपनी जान गंवाते हैं तो ये भगवान को अच्छा नहीं लगेगा।