तान्या रावत
उत्तराखण्ड में बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर #उत्तराखण्ड_मांगे_भू_कानून की मांग को लेकर आवाजें बुलंद हो रखी है। वहीं, इस दिशा में हर उम्र के लोग और राज्य आंदोलनकारियों से लेकर विभिन्न राजनीतिक दल भी राज्य में भू-कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं। जिसके लिए सोशल मीडिया पर भी #उत्तराखण्ड_मांगे_भू_कानून काफी ट्रेंड कर रहा है। दरअसल, उत्तराखण्ड का युवा अपनी देवभूमि की संस्कृति और अपना हक बचाने के लिए कठोर भू-कानून की अपील कर रहा है। जिसके लिए वह चाहता है कि उत्तराखण्ड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर भू कानून लागू हो। लेकिन किसी को ये ज्ञात नही है कि भू-कानून वास्तव में कैसा होना चाहिए। वहीं, इसी बीच उत्तराखण्ड डेमोक्रैटिक पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने इस विषय पर अध्ययन किया और ये जानने की कोशिश की, कि उत्तराखण्ड के लिये कैसा भू-कानून होना चाहिए। जिसके लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश और सिक्किम राज्य के अलावा देश के और राज्यों के भू-कानून का अध्यन कर एक ड्राफ्ट तैयार किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि उत्तराखण्ड राज्य के लिए भू-कानून कैसा होना चाहिए।
आपको बता दें, उत्तराखण्ड डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने सोमवार को यानी 26 जुलाई को प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को उत्तराखण्ड के लिए भू-कानून के लिए तैयार ड्राफ्ट को सौंपा। वहीं, जिसके बाद से यह उम्मीद जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री सरकार की ओर से इसमें अमल कर कुछ अच्छा कार्य किया जाएगा।
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