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देहरादून में पानी पीने योग्य नहीं, देश में दुषित पानी के मामले में देहरादून पहुंचा पांचवे नंबर पर

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड की राजधानी देहरादून से एक चौंकाने वाली खबर सामने आयी है। जहां एक स्वयंसेवी संस्था सोसायटी आफ पॉल्यूशन एंड एनवायरनमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) ने शुक्रवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में बताया कि देहरादून के ज्यादातर स्थानों का पानी पीने योग्य नहीं है और इसमें अवशोषित क्लोरीन, कठोरता और कोलीफार्म का स्तर मानकों से कई गुना ज्यादा है।

बता दें देहरादून स्थित पेयजल की गुणवत्ता पर काम करने वाली यह स्वयंसेवी संस्था सोसायटी आफ पॉल्यूशन एंड एनवायरनमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट (स्पेक्स) ने  बताया कि हाल में पांच से आठ जुलाई के बीच देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्रों से इकटठा किए गए पेयजल के 125 में से 90 प्रतिशत नमूने मानकों के अनुरूप नहीं पाए गए है।

रिपोर्ट में पाया गया कि उच्च क्लोरीन सामग्री, फेकल कोलीफॉर्म, सुपर क्लोरीनीकरण और कठोरता के कारण दून में पानी पीने के योग्य नहीं है। दून के पानी में अवशोषित क्लोरीन की मात्रा 0.2 मिलीग्राम प्रति एमएल है। डोभालवाला, इंद्रेश नगर, तपोवन एन्क्लेव, राजेश्वरपुरम, जोगीवाला, लखीबाग, भंडारी बाग और सरस्वती विहार अजबपुर क्षेत्रों में मानक के अनुसार क्लोरीन पाई गई। 36 स्थानों पर कोलीफॉर्म का स्तर अधिक पाया गया। 14 स्थानों पर मानक के अनुसार 75 स्थानों पर नहीं मिला।

तो वहीं स्पेक्स के सचिव डॉ बृजमोहन शर्मा ने बताया कि आम जन के साथ ही मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों के आवासों और कार्यालयों से भी पानी के नमूने एकत्र किए गए थे। जहां सबसे ज्यादा क्लोरीन की मात्रा मंत्री सतपाल महाराज के घर के पानी में मिली है। 

रिपोर्ट के मुताबिक, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज और गणेश जोशी आवास, डीएम आवास, मेयर सुनील उनियाल गामा निवास डोभालवाला और अन्य विधायक क्षेत्रों से लिए गए पानी के नमूनों में भी क्लोरीन का स्तर अधिक पाया गया है| आदर्श 53 अन्य स्थानों पर भी क्लोरीन सामान्य से अधिक पाया गया। वहीं, 10 क्षेत्रों में क्लोरीन की मात्रा 49 जगहों पर कम और शून्य है।

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क्लोरीन के ज्यादा इस्तेमाल से होती है प्रकार की कई गंभीर समस्याएं

डॉ. शर्मा ने बताया कि क्लोरीन के ज्यादा और लगातार प्रयोग से त्वचा बूढी और बाल सफेद होने लगते हैं और पेट में अल्सर और कैंसर भी हो सकता है। पीने के पानी में कठोरता होने से न केवल त्वचा और बाल बूढे़ होने लगते हैं, पथरी रोग बढ़ता है, गुर्दे, आंखों और पाचन पर बुरा प्रभाव पड़ता है बल्कि नहाने, बर्तन धोने और कपडे़ धोने में भी पानी ज्यादा लगता है। इसी प्रकार, उन्होंने बताया कि फीकल कोलीफार्म युक्त पानी पीने से पेट में कीडे़ सहित पेट के रोग, हैजा, पीलिया और हेपेटाइटिस बी की समस्या तक हो जाती है।

ऐसे बरतें सावधानियां 

लोगों को ऐसे पानी के सेवन से पहले कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि अगर पानी में अधिक क्लोरीन आता है तो उस पानी का चार घंटे तक और अगर बहुत ज्यादा क्लोरीन आता है तो उस पानी का छह से 12 घंटे तक किसी काम में उपयोग न करें। उन्होंने कहा कि अगर पानी में फीकल कोलीफार्म आता है तो पानी को कम से कम 12 मिनट तक मंद आंच पर उबालने के बाद ठंडा होने पर छानकर ही इस्तेमाल करें।

बताते चलें स्पेक्स वर्ष 1990 से पेयजल गुणवत्ता पर काम कर रहा है और 'जन-जन को शुद्ध जल' अभियान चला रहा है।

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