उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड में आज सावन का पहला सोमवार मनाया जा रहा है। जिस कारण आज सुबह से ही मंदिरों और शिवालयों के बाहर भक्तों की लंबी लाइन लगी है। आपको बता दें उत्तराखण्ड में 16 जुलाई से संक्रान्ति की शुरुआत हो गयी है। जहां इस बार सावन में चार सोमवार के व्रत आएंगे। जो कि पहला 19 -जुलाई को है।
पहला सोमवार-19 -जुलाई
दूसरा सोमवार - 26-जुलाई
तीसरा सोमवार- 2- अगस्त
चौथा सोमवार. - 9- अगस्त
पांचवा सोमवार- 16 अगस्त
तो वहीं शहरों में 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन से सावन महीने के व्रत शुरू होंगे।
पहला सोमवार- 26 जुलाई
दूसरा सोमवार- 02 अगस्त
तीसरा सोमवार- 09 अगस्त
चौथा सोमवार- 16 अगस्त
भगवान शिव का सबसे प्रिय माह सावन
शिव का अर्थ कल्याण है। कहा जाता है कि कण-कण में भगवान शिव का वास है। सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय माह होता है। क्योंकि इसी महीने में माता सती से उनका पुर्नमिलन हुआ था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दक्ष पुत्री माता सती ने एक श्राप की वजह से अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक शापित जीवन जीया था। फिर उसके बाद अगले जन्म में हिमालय पुत्री पार्वती के रूप में उनका जन्म हुआ। पार्वती जी ने पिछले जन्म के पति भगवान शिव को पाने के लिए सावन के महीने में कठोर तप किया। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की और उन्हें पत्नी का स्थान दिया। माता सती से पुनर्मिलन होने की वजह से ही भगवान शिव को यह महीना अतिप्रिय है।
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सावन माह में भगवान शिव की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगा जल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
सावन व्रत का महत्व
शास्त्रों में सावन मास के व्रतों का जिक्र मिलता है। कहा जाता है कि इस महीने में भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही सोमवार के व्रत का फल शीघ्र मिलता है। साथ ही सोमवार के दिन भगवान शिव को विधि पूर्वक अभिषेक करने से जीवन की सभी परेशानियां भी दूर होती हैं।
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