उत्तर नारी डेस्क
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आपको बता दें कि AIMIM की उत्तर प्रदेश के बाद उत्तराखण्ड में भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। वहीं अब एआईएमआईएम की एंट्री से आगामी चुनाव में ध्रुवीकरण की राजनीति के चरम पर पहुंचने की संभावना भी बढ़ी है, जिससे बीजेपी-कांग्रेस और आम आदमी पार्टी को नुकसान होना तय है। बता दें कि ओवैसी की पार्टी की अल्पसंख्यक मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। वहीं, उत्तराखण्ड के देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और हल्द्वानी में अल्पसंख्यक मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। वहीं, अब ये देखना दिलचस्प होगा कि एआईएमआईएम की एंट्री के बाद आगामी चुनाव किस करवट रंग लेता है।
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