उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड को वीरों की भूमि यूं ही नहीं कहा जाता। यहां के लोकगीतों में शूरवीरों की जिस वीर गाथाओं का जिक्र मिलता है, पराक्रम के वह किस्से देश-विदेश तक फैले हैं। देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए देवभूमि के वीर सपूत हमेशा ही आगे रहे हैं। यही कारण है कि देवभूमि के कई युवा भारतीय सेना में शामिल होकर अपनी सेवाएं दे रहे है और साथ ही पीढ़ियों से चली आ रही देश सेवा की प्रथा को आगे बढ़ा रहे हैं। आज हम आपको उत्तराखण्ड के ऐसे ही एक लाल से मिलवाने जा रहे हैं जिन्होंने गलवान घाटी में अपने अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देने के लिए मेजर गोविंद जोशी को सेना मेडल से नवाजा गया है।
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आपको बता दें कि मूल रूप से टनकपुर विष्णुपुरी कॉलोनी निवासी मेजर गोविंद जोशी को यह अदम्य साहस अपनी विरासत में मिला है। मेजर गोविंद जोशी सैन्य परिवार के तालुक रखते हैं और वह अपने परिवार में तीसरी पीढी के सेना अधिकारी हैं। आपको बताते चले कि उनके छोटे दादा सूबेदार दुर्गा दत्त जोशी पिता सूबेदार मेजर बृज मोहन जोशी (19 कुमाऊं) तथा बड़े भाई कर्नल भुवन जोशी ने भी देश सेवा में अहम भूमिका निभाई। वहीं, मेजर गोविंद जोशी के पिता सूबेदार मेजर जोशी के मुताबिक मेजर गोविंद जोशी के शहीद छोटे दादा ने उन्हें खूब प्रभावित किया हैं। बता दें कि उनके दादा ने 1962 के भारत-चीन के युद्ध में देश की रक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
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आपको बता दें कि सरस्वती शिशु मंदिर, विद्या मंदिर, राधे हरि इंटर कालेज (टनकपुर) से प्राथमिक शिक्षा करने के बाद मेजर गोविंद जोशी ने डीएसबी परिसर कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। मेजर जोशी 21 मार्च 2009 को ओटीए चेन्नई से सेना अधिकारी के रूप में कमीशन से सेना में भर्ती हुए। फिलहाल वह लद्दाख में सेना के स्पेशल फोर्स में तैनात है। गत वर्ष मेजर जोशी ने चीन के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन में जान पर खेलकर अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। इसी अदम्य सहस के लिए उन्हें सेना मेडल से नवाज गया। है। पूरे परिवार में खुशी का माहौल है। देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर चम्पावत जिले को गर्व व सम्मान का अवसर मिला है। इसलिए हर तरफ जश्न का माहौल है।
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