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उत्तराखण्ड की सविता ने काबुल से की वतन वापसी, सफर की सुनाई बेहद भयावह दास्तान

उत्तर नारी डेस्क

अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की मेडिकल टीम में शामिल उत्तराखण्ड की सविता शाही ने तीन दिन की दहशत में रहने के बाद हवाई सफर के जरिये अपने घर वापसी की है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान से हिंदुस्तान पहुंचने तक का सफर बेहद भयावह रहा।

आपको बता दें दून की सविता शाही पिछले आठ साल से काबुल में नाटो (नार्थ एटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन) और अमेरिकी सेना की मेडिकल टीम के साथ जुड़ी हुई थीं। अफगानिस्तान में अचानक बदले हालात का वह भी अंदेशा नहीं लगा पायी थी कि इतना जल्दी सब कुछ बदल जाएगा। चंद दिनों में ही तालिबान ने अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। सविता ने बताया कि बीते 15 अगस्त को काबुल एयरपोर्ट पर तालिबानियों का कब्जा हो चुका था और सभी उड़ानें रद्द हो गईं थी। ऐसे में घर वापसी के तमाम विकल्पों पर विचार किया जाने लगा। सभी लोग अपने घर वापसी के लिए अपने-अपने संपर्कों के आधार पर प्रयास में जुटे थे। 

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जहां उन्हें पता चला कि भारतीय एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट अपने राजनयिकों और उनके परिवारों के रेस्क्यू को अमेरिकी मिलिट्री एयरपोर्ट पर आ रहा है। तो इस पर 17 अगस्त को अमेरिकी सेना के मेडिकल कैंप से कुल सात लोग सुबह करीब सवा छह बजे छिपते-छिपाते मिलिट्री एयरपोर्ट पर पहुंचे। जहां अन्य व्यक्तियों के साथ वह भी विमान में सवार हो गए। हालांकि, विमान में सीट नहीं मिलने के चलते कई लोग फर्श पर बैठे हुए थे। सविता बताती हैं कि उनके जैसे कई देशों के लोग भी वतन वापसी की आस में छिपे बैठे हैं। ऐसे में भारतीय वायुसेना उनके और उनके जैसों के लिए फरिश्ता बनकर पहुंच रही है। सुबह करीब 7:30 बजे 150 व्यक्तियों को लेकर वायुसेना का विमान जामनगर गुजरात के लिए रवाना हुआ था। जिसके बाद दोपहर करीब साढ़े तीन बजे जामनगर से उन्हें दिल्ली पहुंचाया गया। वह अब दून पहुंच गई हैं, लेकिन काबुल में बने हालातों को देख कर स्वदेश लौटने की इस यात्रा को वह कभी भुला नहीं पाएंगी।

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बताते चलें तालिबान का अफगानिस्तान पर पूरी तरह से कब्जा होने के बाद से सैकड़ों भारतीयों की सांसें भी अधर पर लटकी हुई हैं। ये सभी भारतीय नागरिक घर वापसी का इंतजार कर रहे हैं। जिनमे बड़ी संख्या में उत्तराखण्डी भी शामिल हैं, जो तालिबानियों की दहशत के बीच स्वयं को सुरक्षित रखने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में भारतीय एयरफोर्स का एयरक्राफ्ट का उन्हें लेने जाना किसी राहत भरी ख़बर  से काम नहीं।  तो वहीं भारतीय वायुसेना के विमान अपने नागरिकों के अलावा अन्य देशों के नागरिकों को भी घर पहुंचा रहा है। 

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