उत्तर नारी डेस्क
आशा शुक्ला ने कहा कि वह बीते दिवस महिला हिंसा के एक मामले में महिला आयोग पहुंची। जहां शिकायत लेकर चार-पांच अन्य महिलाएं भी पहुंची थी। उत्पीड़न की दर्दभरी दास्तांना जो इन महिलाओं ने सुनाई, उसे सुनकर उनकी आंखें भर आई। उन्होंने बताया कि इन महिलाओं ने बताया कि उनका ससुरालियों द्वारा इस तरह उत्पीड़न किया गया कि वह उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। आशा शुक्ला ने कहा कि एक ओर महिला हिंसा रोकने की दिशा में काम किये जा रहे हैं।
बावजूद इसके महिला हिंसा होने के बाद आरोपियों को सजा देने के बजाय महिला आयोग व महिला हेल्प लाइन में समझौतों को तवज्जो दी जा रही है। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरूषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं, बावजूद इसके महिला हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। कभी दहेज के नाम पर तो कभी घरेलू हिंसा के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने महिला हिंसा की घटनाओं पर काउंसिलिंग की बजाय दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें तत्काल सजा देने की वकालत की है। साथ ही इस बात पर भी चिंता व्यक्त की है कि हिंसा पीड़ित अधिकांश महिलाएं आज भी किसी न किसी वजह से अपनी आवाज नहीं उठा पा रही हैं। कहा कि कात्यायनी फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने की मुहिम छेड़ी जाएगी।
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