उत्तर नारी डेस्क
आज 2 सितंबर को उत्तराखण्ड राज्य निर्माण सेनानी मोर्चा द्वारा तहसील प्रांगण में अधिवक्ता भवन में मसूरी कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। अधिवक्ताओं द्वारा मसूरी कांड की 26वीं बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज 21 सालों में भी उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों और शहीदों के सपनों का राज्य नहीं बन पाया है।
तो वहीं महेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय दलों के कारण नौकरशाही नेताओं पर हावी रही है। जिसके कारण कल खटीमा में मुख्यमंत्री द्वारा जो घोषणा की गई वह आधी-अधूरी थी। चिन्हिकरण मामलों में कर आय डेट 31 दिसंबर 2017 थी, जबकि मुख्यमंत्री द्वारा 2018 कहा गया। इसी प्रकार मुख्यमंत्री ने घोषणा करी की 10% क्षैतिज आरक्षण में पुनर्विचार याचिका हाईकोर्ट में करेंगे। परंतु यह भूल गए कि फरवरी 2018 में उच्च न्यायालय नैनीताल ने आंदोलनकारियों के विरुद्ध फैसला दिया था।
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जबकि सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 90 दिन के अंदर पुनर्विचार याचिका डाली थी या सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए था परंतु सरकार नहीं गई। जिसके बाद आंदोलनकारी स्वयं सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए और मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वहीं, उन्होंने सरकार से अनुरोध किया हैं कि सरकार आंदोलनकारियों का सुप्रीम कोर्ट में पूर्ण सहयोग दें।
इस अवसर पर पुष्कर रावत, राम कुमार माहेश्वरी, प्रेम सिंह बिंदवाल, हरि सिंह रावत, इन्दु गौड़, नंदकिशोर डबराल, लक्ष्मी रावत, विजयपाल बिष्ट, लक्ष्मी रावत, विजयपाल सिंह बिष्ट, सुशीला देवरानी, मोहनलाल, सुनीता रावत, मनमोहन नेगी, दुर्गा काला, जय प्रकाश रावत, विनोद कुमार, अर्चना दूदपुड़ी, सरस्वती रावत, बंटी नेगी, हरीश बहुखंडी, सतीश मैन्दोला, पुरुषोत्तम डबराल, कमल चौहान, इच्छा नेगी, बीना देवी, नंदा बिष्ट, उषा भट्ट, शकुंतला डोभाल, मुन्नी धूलिया, आरती बिष्ट आदि श्रद्धांजलि देने में शामिल थे।
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