उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के अर्जुन अवार्डी मनोज सरकार पैरालंपिक के सेमीफाइनल मुकाबले में पहुंच चुके है। जिससे अब उत्तराखण्डवासियों को मनोज से पूरी उम्मीद है कि वह जल्द ही देश के लिए स्वर्ण पदक लेकर आएंगे। तो वहीं खेल प्रेमियों का मनोज के सेमीफाइनल मुकाबले पर पहुंचने की खबर के बाद से उनको सोशल मीडिया पर बधाई देने का दौर शुरू हो चूका है और रिश्तेदारों का उनको शुभकामनाएं देने के लिए तांता लग गया है।
आपको बता दें मनोज सरकार ने यूक्रेन के खिलाड़ी अलेक्जेंडर को 28 मिनट में ही 2-0 से पराजित कर सेमीफाइनल मुकाबले में जगह बना ली है।
टोक्यो में पांच सितंबर तक चलने वाले पैरा बैडमिंटन की एस एल-3 श्रेणी में राज्य के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी मनोज सरकार ने प्रतिभाग किया है।
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बताते चलें मनोज सरकार का जन्म ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर तराई के जिला मुख्यालय में गरीब परिवार में हुआ था। जहां बचपन में ही दवा के ओवरडोज के चलते उनके एक पैर ने काम करना बंद कर दिया था। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते गरीब परिवार में जन्में मनोज सरकार को बचपन से ही पंचर जोड़ने, खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करने और घरों में पीओपी के काम करने पड़े थे।
जिसके चलते वह अच्छे डॉक्टर से अपने पांव का इलाज नहीं करा पाए थे। परन्तु बचपन से ही उन्हें बैडमिंटन खेलने का शौक था। इस शौक को देखते हुए उनकी मां जमुना सरकार ने मजदूरी करके जुटाए रुपयों से उन्हें बैडमिंटन खरीदकर दिया। उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया तो उन्हें साथी बच्चे लंगड़ा कहकर चिढ़ाया करते थे। जिससे तंग आकर उन्होंने बैडमिंटन खेलने का विचार छोड़ दिया था। फिर टीवी में बैडमिंटन की वॉल प्रैक्टिस (दीवार में शटल को मारकर प्रैक्टिस) देखने के बाद उन्होंने घर पर ही अभ्यास शुरू किया था। मनोज को आज यह शानदार मुकाम आसानी से नहीं बल्कि बचपन में किये संघर्षों के बदौलत प्राप्त हुआ है।
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