उत्तर नारी डेस्क
14 मार्च 2016 को देहरादून में उत्तराखण्ड विधानसभा के बाहर बीजेपी का पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा था। जिसका नेतृत्व मसूरी से तत्कालीन विधायक गणेश जोशी कर रहे थे। इस दौरान आक्रोश भीड़ का गुस्सा उत्तराखण्ड पुलिस के शक्तिमान नाम के घोड़े पर फूटा और इस दौरान उसका पैर टूट गया था। आरोप था कि इस दौरान भाजपा विधायक गणेश जोशी और प्रदर्शनकारियों ने उसके पैर पर इतने डंडे बरसाए कि उसका पैर टूट गया। जिसके चलते वह घायल हो गया और काफी उपचार के बाद उसकी मौत हो गयी थी। जिसके बाद इस सिलसिले में उत्तराखण्ड पुलिस ने गणेश जोशी और बीजेपी के 4 अन्य लोगों के खिलाफ बलवे और मारपीट के अलावा पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था। इनके नाम थे प्रमोद बोरा, जोगेंद्र सिंह पुंडीर, अभिषेक गोंड और राहुल। वहीं, इस मामले में अब अदालत ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी समेत अन्य 4 आरोपियों को भी बरी कर दिया है।
बता दें कि देहरादून के मुख्य न्यायाधीश लक्ष्मण सिंह की कोर्ट ने इस मामले में कोई पुख्ता सबूत न होने के कारण धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के साथ सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। इस फैसले के बाद जोशी ने भावुक होकर कहा कि, ‘मैं पहले से कह रहा था कि निर्दोष हूं। आज सत्य की जीत हुई।’ वहीं, जोशी के वकील मनमोहन कंडवाल ने बताया कि साक्ष्यों की कमी और गवाहों के विरोधाभासी बयानों के चलते कोर्ट ने जोशी को दोषमुक्त किया।