उत्तर नारी डेस्क
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आपको बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव अब नजदीक है। जिसके लिए हर दल प्रदेश वासियों को लुभाने के लिए कुछ न कुछ घोषणा कर रहा। वहीं, कांग्रेस भी यह घोषणा कर चुकी है कि अगर 2022 में उनकी सरकार आती है तो वह तुरंत इस कानून को रद्द कर देंगे। मौजूदा भू-कानूनों का विरोध करने वाले हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी भूमि व्यवस्था बनाने की मांग कर रहे हैं। साथ ही उनका यह भी कहना है कि प्रदेश सरकार ने पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीद की सीमा समाप्त कर दी और लीज व पट्टे पर 30 साल तक भूमि लेने का रास्ता खोला दिया। जिससे राज्य को भविष्य में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ेंगा। उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) अधिनियम में धारा-143(क) और धारा 154 (2) को जोड़े जाने का विरोध मुखर हो चुका है।
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भू-कानून में संशोधन पर विचार को गठित समिति के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने बताया कि जन भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश में लागू भू-कानून का अध्ययन शुरू कर दिया गया है। गठित समिति इस संबंध में सभी स्टेक होल्डर से बातचीत भी करेगी। वहीं, अगर जरूरत पड़ी तो हिमाचल पैटर्न पर भी भू-कानून को उत्तराखण्ड के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा व्यवहारिक बनाया जा सकता है।
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