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सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश, मुख्य सदस्य गिरफ्तार

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड के विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधडी कर करोड़ों रुपये हडपने वाले गिरोह का पटेलनगर पुलिस ने खुलासा किया है। पटेलनगर पुलिस ने गिरोह के मुख्य सदस्य को गिरफ्तार कर लिया है। बता दें कि गिरोह के सदस्य स्वयं को सचिवालय में बड़ा अधिकारी बताकर बेरोजगार लोगों से बड़े स्तर पर करोडों रुपये की धोखाधडी किया करते थे। वहीं, गिरोह के सदस्य आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया करते थे, जिससे लोगों को इन पर शक न हो। 

बता दें कि पुलिस पूछताछ में अभियुक्त कमल किशोर पाण्डेय ने बताया कि मैने बी-टैक की शिक्षा प्राप्त की है। मैने 2015 से 2019 तक मर्चेन्ट नेवी रिक्रूटमेन्ट का काम किया है। मैं ललित बिष्ट व मनोज नेगी को काफी समय से जानता हूँ। मेरा भाई सूचना विभाग मे हेड क्लर्क के पद पर नियुक्त है। ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्लूडी विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त है। मनोज नेगी उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम पौडी मे सविंदा पर नियुक्त है, जिस कारण हम सभी लोगों का सचिवालय में आना जाना लगा रहता था, हमें सचिवालय व विधानसभा की अच्छी जानकारी थी। मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी के साथ मिलकर लोगों को सरकारी नौकरी क्लर्क के पद पर लगाने का झांसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई। 

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मैं वर्ष 2018 में एक विवाह समारोह मे मनीष कुमार से मोती बाजार मे मिला, मैने उनसे उनकी नौकरी लगवाने की बात कही, जिसके पश्चात मनीष कुमार द्वारा अपने भाई, साले व अन्य लोगो को नौकरी लगवाने के लिए कहा, जिस पर मैने मनीष कुमार व अन्य लोगों से आईएसबीटी, विधान सभा के पास कई बार मुलाकात की व प्रत्येक अभ्यर्थी की विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी लगाने के एवज मे 6,50,000/- (छः लाख पचास हजार रुपये) प्रत्येक से लेना तय हुआ जिसके लिए मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे और प्रति अभ्यर्थियों की नौकरी लगाने के लिए तय की गई धनराशि के हिसाब से 10 अभ्यर्थियों से 6200000/- रुपये प्राप्त किये गये जिसमें से मैने कुछ अकाउन्ट मे व कुछ नकद प्राप्त किये, इसके बाद मैने ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पड़े केविन मे इण्टरव्यू कराये, इण्टरव्यू मनोज नेगी सचिव बनकर व ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लेता था। इण्टरव्यू के बाद हमने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल में मेडिकल कराया। कुछ समय पश्चात हमारे द्वारा पद निरस्त होने का बहाना बनाया गया और उनके पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते। हम तीनों ने अपने हिस्सो के रुपये काम के हिसाब से बाँटे। इसके अतिरिक्त हम तीनों ने मिलकर अन्य कई लोगो से भी इसी प्रकार नौकरी लगाने के एवज में करोड़ों रुपये लिये गये है।

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