उत्तर नारी डेस्क
जहां एक और पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़कर रख दिया है। तो वहीं अब बढ़ती महंगाई ने पटाखों की कीमत में भी उछाल लाया है। बता दें पिछले साल प्रमुख पटाखों के जो रेट थे, इस बार वह और भी महंगे हो गया है। वहीं, कारोबारियों के अनुसार इसका प्रमुख कारण कोरोना संकट हैं। शहर के बाजारों में भले ही बीते साल की अपेक्षा तेजी आई हो, पर पटाखा और सर्राफा कारोबार उस तरह से तेजी नहीं पकड़ पाए है, जो कारोबार कोरोनाकाल से पहले हुआ करता था। अब इस साल वह पटाखों का कारोबार नहीं रहा। पिछले साल की तुलना में इस साल 10 से 12 फीसदी पटाखे महंगे भी हो गए हैं। ऐसे में ग्राहकों को पटाखे खरीदने में अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। तो कुछ ऐसे कारोबारी भी हैं, जो इस साल पटाखों का कारोबार नहीं कर रहे हैं और पटाखे की बजाय फैंसी आइटम की दुकान लगा रहे हैं।
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पटाखों के रेट
ग्रीन फुलझड़ी 600 रुपये यूनिट यानि 60 रुपये डब्बा, राकेट 140 रुपये पैकेट, चक्करघिन्नि यानि राधा चक्कर 150 से 200 रुपये डब्बा, तथा सदाबाहार नागिन छाप 17 रुपये पाकेट बिक रहा है। पिछले साल से इस बार सभी पटाखों पटाखों की कीमत बढ़ी है।
इनसेट थोक मार्केट में पटाखे की कीमत
ग्रीन फुलझड़ी- 600 रुपये यूनिट
मुर्गा छाप नागिन-15 रुपये प्रति पैकेट
कोबरा छाप नागिन- 11 रुपये प्रति पैकेट
फुलझड़ी- ?16 से ?18 रुपये प्रति यूनिट
हाइड्रो बम-60 रुपये प्रति पैकेट
कुलिया-?120 से ?180 रुपये प्रति पैकेट
चक्करघिरनी- ?125 से 240 रुपये प्रति पैकेट
कमांडो नाम का आलू बम-?130 रुपये प्रति पैकेट
हनुमान बम-?120 प्रति रुपये पैकेट
राकेट- ?160 से ?240 रुपये पैकेट
टॉर्च लाइट पटाखा-?140 रुपये प्रति पैकेट
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