उत्तर नारी डेस्क
उत्तराखण्ड के लिए गौरान्वित करने वाली ख़बर सामने आयी है। जहां प्रोफेसर सुनील चमोली ने देवभूमि का मान बढ़ाया है। आपको बता दें, कि जीबी पंत संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में सेवारत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनील चमोली को दुनिया के शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। टिहरी जिले के न्यूली गांव के मूल निवासी डॉ. चमोली 2018 से जीबी पंत संस्थान में सेवारत हैं। फ्यूड फ्लो, हीट एक्सचेंजर पर उन्होंने विशेष रूप से शोध कार्य किए है। वे थर्मल सिस्टम के साथ ही ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भी अहम योगदान दे रहे हैं। उनके 50 से अधिक शोध पत्र राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। इस उपलब्धि पर टिहरी के लोगों में खुशी की लहर है।
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बताते चलें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी कैलिफोर्निया हर साल दुनियाभर के वैज्ञानिकों के डाटा का विश्लेषण करके रिसर्च फील्ड के मुताबिक विश्व रैंकिंग करती है। सभी विश्वविद्यालयों का सर्वे कराने के बाद यह सूची जारी की जाती है। सर्वे में यह देखा जाता है कि किस विवि के वैज्ञानिक का शोध सबसे ज्यादा उल्लिखित हों। यानी उनके शोध पत्रों के हवाले अथवा उसे आधार मानकर कितने शोध कार्य हुए या पेटेंट हुए हैं। साथ ही कितने शोध पत्र उस विज्ञानी के प्रकाशित हुए हैं। इस रैंकिंग में स्टैनफोर्ड विवि के साल 2021 की सूची में जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुड़दौड़ी के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनील चमोली को शीर्ष दो फीसदी वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। तो वहीं, शिक्षक दिवस पर उत्तराखण्ड तकनीकी विवि में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन्हें सम्मानित भी किया था।
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प्रोफेसर डॉ. सुनील चमोली ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अहम योगदान दे रहे हैं। उन्होंने बीटेक व एमटेक उत्तराखण्ड तकनीकी विवि और पीएचडी एनआईटी हमीरपुर से की है। इस वक़्त वह टिहरी 2018 से जीबी पंत संस्थान में सेवारत हैं। उनके पिता एमआर चमोली बीएसएनएल से सेवानिवृत्त हैं। जबकि माता प्रेमा चमोली गृहणी हैं।
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