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देवभूमि उत्तराखण्ड के कोटद्वार में स्थित चमत्कारी दुर्गा देवी मंदिर के बारे में जानिए

शीतल बहुखण्डी 

देवभूमि उत्तराखण्ड, हिमालय की गोद मे बसा एक छोटा सा राज्य है। जो कि हरी भरी ऊँची ऊँची पहाड़ियो और पवित्र नदियों से घिरा है। माना जाता है की यहाँ तैतीस करोड देवी देवता निवास करते है। जिस कारण यहां कई ऐसे मंदिर हैं। जिनके पीछे कई सालों पुराना रहस्य छुपा होता है। ऐसी ही सैकड़ों मंदिरों में से अपनी अलग पहचान बनाने वाली मंदिर है दुर्गा देवी मंदिर। 

जो कि पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार से महज 13 किमी की दूरी पर स्थित हैं। हालंकि प्राचीन मंदिर थोड़ा नीचे 12 फिट लंबी गुफा में स्थित है, जिसमें एक शिवलिंग स्थापित है। आपको बता दें यहां माता रानी के दर्शन करने सिर्फ भक्त ही नहीं बल्कि उनकी सवारी शेर भी आता है। कहा जाता है कि, शेर मंदिर में माथा टेककर चले जाता है और किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता। 

मंदिर निर्माण की रोचक कथा

कहा जाता है कि मंदिर प्राचीन समय में बहुत छोटे आकार का हुआ करता था जो कि सड़क से ठीक नीचे स्थित है, जिसके कारण कोटद्वार के बीच सड़क कार्य निर्माण में विवदा आ रही थी। तब माँ दुर्गा ठेकेदार के सपने में आई और कहा कि पहले मेरा मंदिर बनवाओ लेकिन ठेकेदार कोई खान था तो उन्होंने ऐसा करना जरूरी नही समझा लेकिन जब बहुत समय से सड़क निर्माण कार्य मे रुकावट आती गई, तो ठेकेदार द्वारा भव्य मंदिर की स्थापना की गई, तब जाकर सड़क कार्य सम्पन्न हुआ। इसलिए कहते है कि इस मंदिर के दर्शन करने बाद भक्तों का कोई भी रुका हुआ काम पूरा हो जाता है। 

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दुर्गा देवी मंदिर प्राचीनतम सिद्धपिठों में से एक मंदिर 

यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है। जो की देवी दुर्गा माता को समर्पित मंदिर है, दुर्गा देवी मंदिर को प्राचीनतम सिद्धपिठों में से एक माना जाता है। मां दुर्गा का ये चमत्कारी मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा है और नदी किनारे स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी माँ का दर्शन करने आता है मां दुर्गा उसके जीवन में आने वाले हर संकट से उन्हें बचाती है।

माँ दुर्गा के दर्शन करने आता है शेर 

वहीं मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस गुफा में मां दुर्गा के दर्शन के लिए भक्तों को लेट कर जाना होता है। इस मंदिर में देवी मां के चट्टानों से उभरी एक प्रतिमा है और अंदर एक ज्योति है जो कि निरंतर जलती रहती है। नवरात्र के दिनों में दुर्गा माता के दर्शन करने के लिए उनका वाहन शेर भी आता है और उनका आशीर्वाद लेकर वापस लौट जाता है। लेकिन, किसी भी भक्त को वह नुकसान नहीं पहुंचाता। इस वजह से ये अपने आप में काफी खास और चमत्कारी मंदिर है। कहा जाता है कि, सैलानी जब भी पहाड़ों पर घूमने आते हैं तो पहले दुर्गा देवी में माथा जरूर टेकते हैं। इसके बाद ही वह अपनी यात्रा शुरू करते हैं।

मां दुर्गा की मूर्ति के साथ मंदिर के निचले हिस्से में एक छोटी सी गुफा जो काफी अंदर यानि जंगल की तरफ जाती है। गुफा के अंदर एक ज्योत हमेशा जलती रहती है पर इस गुफा के भीतर जाने की अनुमति किसी को नहीं है। वहीं नवरात्र के दिनों में यहां माता रानी के भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रावण मास के सोमवार और शिवरात्रि को बड़ी संख्यां में शिवभक्त यहां भगवान शिवजी का जलाभिषेक करने आते हैं।

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