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तीन बच्चे होने के कारण DM ने ग्राम प्रधान को पद से हटाया

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड में एक प्रधान को ​तीसरी संतान पैदा करना भारी पड़ गया। मामले में एक ग्रामीण द्वारा जिला प्रशासन से इस मामले की शिकायत की थी, जिसके सही पाए जाने पर जिलाधिकारी ने प्रधान को पद से हटाया दिया है। बता दें, भिलंगना ब्लाक के सेम बासर गांव निवासी विकेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी से गांव के प्रधान विक्रम नेगी द्वारा तीसरी संतान पैदा करने की शिकायत की थी। शिकायतकर्ता का कहना था कि प्रधान की वर्ष 2019 में दो संतान थी। उस दौरान पंचायत चुनाव में वह प्रधान पद पर निर्वाचित हुए। लेकिन 8 जुलाई 2021 को विक्रम नेगी की पत्नी सरिता देवी ने तीसरी संतान को जन्म दिया। बेलेश्वर अस्पताल में तीसरी संतान होने का पूरा ब्यौरा है। शिकायत का संज्ञान लेने पर डीपीआरओ टिहरी ने भिलंगना के बीडीओ और सहायक विकास अधिकारी को जांच सौंपी। दोनों अधिकारियों की जांच में शिकायत सही पाई गई। जिसके बाद 22 अक्टूबर, 2021 को डीपीआरओ ने ग्राम प्रधान विक्रम सिंह नेगी को नोटिस भेजा। जिसके जवाब में ग्राम प्रधान ने स्वयं की तीन संतान जीवित होने की पुष्टि की। इसके बाद 17 फरवरी 2022 को जिलाधिकारी की ओर से ग्राम प्रधान को अपना पक्ष रखने का एक और अवसर दिया गया, लेकिन वह निर्धारित तिथि तक ना स्वयं उपस्थित हुए और ना ही कोई प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया। जिसके बाद जिलाधिकारी ईवा आशीष श्रीवास्तव ने सेम ग्राम प्रधान विक्रम सिंह नेगी को दोषी पाए जाने पर 25 मार्च को ग्राम प्रधान पद से हटा दिया है। 

बता दें, प्रदेश में स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जन प्रतिनिधियों के लिए अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है। ये शासनादेश प्रदेश की सबसे पहली निर्वाचित एनडी तिवारी सरकार के समय यानि दो जुलाई 2002 से ही लागू है। इस शर्त के चलते ऐसे लोग प्रदेश में पंचायत चुनाव में भाग नहीं ले सकते हैं, जिनकी जुलाई 2002 के बाद तीसरी संतान पैदा हुई है। इसके बाद पिछली बीजेपी सरकार ने 2018 में पंचायती राज एक्ट में भी संशोधन करते हुए, इसमें न्यूनतम शिक्षा की शर्त भी लागू कर दी है। 

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