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उत्तर प्रदेश से ज्यादा सीट उत्तराखण्ड में जीत गई मायावती की BSP

उत्तर नारी डेस्क


5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं और 4 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी जीत दर्ज की है। वहीं उत्तराखण्ड में भी भारतीय जनता पार्टी ने र‍िकॉर्ड तोड़ते हुए लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है और अब सरकार बनाने जा रही है। जहां प्रदेश की 70 विधानसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं कांग्रेस को भी 18 सीटें मिली हैं। तो BSP ने भी 2 सीटें निकाली हैं। और निर्दलय ने 2 सीट। 

अब इसमें ख़ास बात यह रही कि इस बार भी कांग्रेस का प्रदर्शन इन राज्यों में शर्मनाक रहा। वहीं BSP की बात करें, तो उत्तर प्रदेश में BSP महज 1 सीट पर सिमट कर रह गयी और उत्तराखण्ड में  BSP ने 2 सीट निकाल ली है। हालंकि मायावती की पार्टी को यूपी में सवा करोड़ वोट मिले लेकिन यह सीट में बदल नहीं पाए। एक वक्त था जब बसपा के लिए कभी उत्तर प्रदेश गढ़ माना जाता था क्योंकि पार्टी की मुखिया मायावती यहां से 4 बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और 2007 के चुनाव में तो उनकी पार्टी को पूर्ण बहुमत भी मिला था। हालांकि इसके बाद पार्टी का प्रदर्शन लगातार गिरता जा रहा है और इस बार वह महज 1 सीट पर सिमट गई है जबकि 5 साल पहले उसके खाते में 19 सीट गई थी। 

कुल मिलाकर देखा जाए तो इस बार बसपा की उत्तर प्रदेश से अच्छी स्थिति उत्तराखण्ड में रही है। जहां उसे 70 सदस्यीय विधानसभा में 10 साल बाद 2 सीट हासिल हुई है और बसपा को यहां पर 2,59,371 वोट मिले हैं।  

उत्तराखण्ड में बसपा का इतिहास 

उत्तराखण्ड में बसपा का इतिहास देखा जाए तो वोट शेयर की स्थिति काफी हद तक स्पष्ट है। मैदानी जिलों में बहुजन समाज पार्टी का वोट प्रतिशत चुनाव दर चुनाव बढ़ता रहा। हालांकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को काफी नुकसान हुआ और वोट प्रतिशत 6.98 प्रतिशत पर चला गया। 2002 के विस चुनाव में बसपा को प्रदेश में 10.93 प्रतिशत वोट मिले थे। 2007 के चुनाव में यह आंकड़ा 11.76 प्रतिशत पर पहुंच गया।

2012 के चुनाव में वोट प्रतिशत बढ़कर 12.99 प्रतिशत पर पहुंचा, लेकिन 2017 के चुनाव में पार्टी का न केवल वोट प्रतिशत गिरा बल्कि कोई भी प्रत्याशी विधानसभा नहीं पहुंच पाया था। 2022 के चुनाव में बसपा के दो प्रत्याशी जीते। लक्सर में जहां मोहम्मद शहजाद जीते तो वहीं मंगलौर सीट पर सरवत करीम अंसारी जीते। हालांकि, बसपा का वोट प्रतिशत इस बार 4.83 के आसपास पहुंच गया है। वहीं अब जो बसपा कभी राष्ट्रीय स्तर पर उभर रही थी। अब उसी बसपा के लिए अस्तित्व का संकट खड़ा है।

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