उत्तर नारी डेस्क
आज के समय में सड़क पर एक सार्वजनिक लाइब्रेरी खोलना और लोगों के लिए एक ऐसी व्यवस्था निर्मित करना जहां पाठक आराम से ज्ञान प्राप्त कर सके, यह किसी पुण्य से कम नहीं है और यह काम कर दिखाया है उत्तराखण्ड के बस्ता पैक एडवेंचर के कर्ताधर्ता- गिरिजांश गोपालन और उनके कुछ साथियों ने। जिसके बाद से लोग इस स्ट्रीट लाइब्रेरी से कोई भी पसंदीदा किताब को निशुल्क पढ़कर ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बता दें, ये स्ट्रीट लाइब्रेरी उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास है। गंगा किनारे जब आप घूमने जायेंगे तो आपको वहां एक पोल से टंगा खूबसूरत सा बक्सा दिखाई देगा। जिसमें दिखाई देती है कुछ किताबें। इस बक्से में हिंदी, अंग्रेजी साहित्य और स्कूली पाठ्यक्रम की किताबें के साथ-साथ जनरल नॉलेज और इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स की किताबें भी हैं। इस बक्से पर इसका नाम भी लिखा है बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी। यह उत्तराखण्ड की पहली स्ट्रीट लाइब्रेरी है। आइए जानते हैं इस स्ट्रीट लाइब्रेरी से जुड़ी अन्य खास बातें।
इस तरह की शुरुआत
बस्ता पैक एडवेंचर के कर्ताधर्ता- गिरिजांश गोपालन और उनके कुछ साथियों ने 'स्ट्रीट लाइब्रेरी' की शुरुआत ऋषिकेश में लक्ष्मण झूले के पास गंगा किनारे ही की। इस लाइब्रेरी में कई तरह की किताबें उन्होंने रखी। वहीं, गिरिजांश का कहना है कि एक बड़ा तबका है, जो किताबें पढ़ना तो चाहता है, लेकिन उनके पास किताबें उपलब्ध नहीं हो पातीं। इसके सामाजिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं। वे बताते हैं कि यहां लोग गंगा किनारे बैठकर खूबसूरत नजारों का आनंद लेते हुए किताबें पढ़ सकते हैं। अगर किसी को कोई किताब अपने साथ ले जानी है, तो बदले में एक दूसरी किताब रख कर वे अपने साथ कोई किताब ले जा सकते हैं। वहीं, उन्होंने आगे बताया कि उनके कुछ मित्र हैं जो किताबें डोनेट करते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग उनसे जुड़कर किताबें भिजवा देते हैं। साथ ही इस मुहीम में दिल्ली यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के कुछ शिक्षक का अहम योगदान भी रहा है।
किताब होती है चोरी
गिरिजांश बताते हैं कि बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी एक सार्वजनिक लाइब्रेरी रखा। लोग यहां आते हैं, खुद से किताब लेते हैं, यहीं बैठकर पढ़ते हैं और फिर रखकर चल देते हैं। लेकिन, कुछ ऐसे भी लोग आते हैं, जो पढ़ने के बहाने किताबें उठाते हैं और चुरा ले जाते हैं। वे कहते हैं कि किताबें ले जाने की मनाही नहीं है, लेकिन एक किताब के बदले दूसरी किताब रख जाएंगे तो यह कारवां बहुत अच्छे से चलता रहेगा।
इस मुहिम का उद्देश्य
उत्तराखण्ड में ऐसे कई गांव हैं जहां आज भी बच्चे पढ़ाई और किताबों से वंचित रह जाते हैं। कहीं चुनौतियां संसाधनों की होती हैं तो कहीं गरीबी की। इन्ही सब चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए बस्तापैक एडवेंचर ने मुहीम की शुरुआत की है। बस्तापैक एडवेंचर ऐसी और भी लाइब्रेरीज लगवाएगा। जो दूर दराज के गांव तक पढ़ने की सुविधाएं देगा। आप भी चाहें तो इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। आप भी किताबें डोनेट करके उन बच्चों को आगे बढ़ने में मदद कर सकते है। आप बस्तापैक एडवेंचर से सोशल मीडिया पर कॉन्टैक्ट कर सकते हैं, फिर वे किताबें मंगवा लेंगे।
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