उत्तर नारी डेस्क

आज दिनांक 13 अप्रैल को उत्तराखण्ड राज्य निर्माण सेनानी मोर्चा की प्रेस वार्ता पदमपुर सुखरो वार्ड नं 10 में आयोजित की गई। जिसमें उत्तराखण्ड आंदोलनकारी अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट रमन शाह व राज्य निर्माण सेनानी मोर्चा के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रावत द्वारा संयुक्त प्रेस वार्ता की गयी, एडवोकेट रमन शाह द्वारा कहा गया कि राज्य आंदोलनकारियों के 10% क्षैतिज आरक्षण पर सरकार द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट 1403 दिन बाद जाने पर नाराजगी व्यक्त की गयी, जबकि नैनीताल हाई कोर्ट ने 2018 में इसके विरूद्ध में फैसला दिया था। वहीं, आंदोलनकारियों ने नैनीताल हाई कोर्ट में फैसला आने के 30 दिन के अन्दर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गयी थी। सरकार उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारियों के हितों की सोचती तो 2015 का 10% क्षैतिज आरक्षण विधेयक को राज्यपाल से हस्ताक्षर करवाकर मंगवाती या आंदोलनकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करती। सरकार अपनी लापरवाही को सरकारी अधिवक्तों के सिर पर मढ़ रही है जो गलत है। जो 10% क्षैतिज आरक्षण के तहत मिली नौकरियों में सचिव राधा रातूड़ी द्वारा नोटिस देना पूर्णतया असंवैधानिक है क्योंकि आंदोलनकारी सुप्रीम कोर्ट में है। यह कटेंट की श्रेणी में आता है। आंदोलनकारी इसी संबंध में एंट्रानी जनरल ऑफ इंडिया को एक माह के अंदर नोटिस देगा व एक माह व्यतीत होने पर सुप्रीम कोर्ट में सचिव राधा रातूड़ी के खिलाफ कटेम्ट दायर करेंगे। साथ ही मुजफ्फरनगर आंदोलनकारी संगठन व वार एशोसिएशन मुजफ्फरनगर के साथ मिलकर न्यायिक संघर्ष आगे बढ़ाने के लिए कोडिनेटर एडवोकेट अनुराग वर्मा व नीरज को नियुक्त किया गया है।
महेन्द्र सिंह रावत द्वारा कहा गया कि चिन्हीकरण व अन्य आंदोलनकारी हितों के लिए सरकारे चुनाव के समय शासनादेश जारी कर देती है तथा उस पर ठोस कार्यवाही नही होती हैं। सितंबर 2021 में सरकार चिन्हीकरण व मृतक आश्रित पेशन संबंध में शासनादेश जारी किया, लेकिन उस पर कोई ठोस कार्यवाही नही की गयी, जबकि कई जिले में जिलाधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन द्वारा आवेदकों के आवेदन पर भी कोई कार्यवाही नही की गयी। जिला प्रशासन में वार्ता की जाती है तो उनका कहना है कि आवेदकों की राजस्व जांच की जा रही है। जबकि शासनादेश को सात माह व्यतीत हो गए है। साथ ही संगठन 10 से ही विभिन्न सरकारों से ही मांग करता रहा है। आंदोलनकारियों के लिए एक स्पष्ट नीति बनायी जाए, साथ ही मांग की गयी थी कि सरकार एडवोकेट जनरल उत्तराखण्ड स्थाई महाधिवक्ता उत्तराखण्ड सरकार व राज्य चिंहित आंदोलनकारी अधिवक्तों की कमेठी बनायी जाए। आंदोलनकारियों से संबंधित कोर्ट की कार्यवाही 10% आरक्षण व मुजफ्फरनगर कांड की कार्यवाही कर सकें। आज प्रेस वार्ता में गुलाब सिंह रावत, राकेश लखेड़ा और वीरेंद्र सिंह रावत आदि सम्मिलित थे।
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