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उत्तराखण्ड : वनाग्नि से झुलसते जंगलों को अब बिना पानी के बचा सकेंगे, रवि ने तैयार की अनोखी मशीन

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड में गर्मी की तपिश बढ़ने लगी है। जिससे वनाग्नि की समस्या हर साल बढ़ने लगती है। इसी वजह से करोड़ों की वन संपदा भी वनाग्नि की भेंट चढ़ जाती है। साथ ही इससे पशु, पक्षी और पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचता है। वन विभाग जंगलों को आग से बचाने के लिए हर साल बड़ी योजनाएं बनाता है, लेकिन ये कारगर साबित नहीं होतीं। अब इसी बड़ी गंभीर समस्या से निपटने के लिए अल्मोड़ा के रवि टम्टा ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो बिना पानी के आसानी से आग को बुझा सकती है। जी हाँ इस होनहार युवा रवि टम्टा ने ऐसा आविष्कार किया है। जो वन विभाग के लिए बड़ा मददगार साबित हो सकता है। 

वहीं इस मशीन की खासियत यह है कि इसे एक ही व्यक्ति आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। दूसरा यह मशीन बहुत कम लागत के साथ कम समय में आग पर काबू पा लेती है। जिसके कारण यह पहाड़ों के लिए बहुत उपयोगी है। 

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आपको बता दें रवि टम्टा अल्मोड़ा के धौलादेवी ब्लॉक के रहने वाले हैं। उन्होंने 12 वीं की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम से की, जिसके बाद ओपन यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक किया है। रवि बताते हैं कि वह पहाड़ की समस्याओं के समाधान के लिए लंबे समय से रिसर्च में जुटे हैं। 12 वीं की पढ़ाई जब वह विज्ञान विषय से कर रहे थे, तब से ही वह नई-नई खोजों में जुट गए थे। इससे पहले वह इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का चार्जर, बांस बुनने की मशीन समेत कई अन्य उपयोगी मशीनें बना चुके हैं। इन्हीं में से एक मशीन इस बार उन्होंने पहाड़ो में वनाग्नि से निपटने के लिए और आग बुझाने के लिए बनाई है। जिसमें एक मशीन इलेक्ट्रिक जबकि एक पेट्रोल से चलने वाली है। इलेक्ट्रिक मशीन ढाई किलो जबकि पेट्रोल से चलने वाली मशीन का भार 4 किलो है। इसे पीठ में बांधकर आसानी से आग बुझाई जा सकती है। पेट्रोल से चलने वाली मशीन की लागत 12 से 15 हजार और इलेक्ट्रिक मशीन की लागत 18 से 20 हजार रुपये तक आती है। रवि इस मशीन का डेमोस्ट्रेशन मुख्य विकास अधिकारी और डीएफओ के सामने पेश कर चुके हैं।  

रवि कहते हैं कि जंगल में अब तक आग बुझाने के लिए पानी या अन्य साधनों का उपयोग किया जाता था। जो काफी महंगे होते हैं। उनकी बनाई मशीन की मदद से बेहद कम खर्च और बिना पानी के जंगल की आग पर काबू पाया जा सकता है।

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