उत्तर नारी डेस्क
बता दें, स्यूंसी के रहने वाले शिशुपाल भंडारी ने बताया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी अंकिता के दांत में दर्द हो रहा था, जिसके चलते वह अपनी बेटी को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल ले गया था। अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने इलाज के दौरान बेटी का दांत आधा तोड़ दिया और इसके बाद पूरा दांत निकालने के लिए उपकरण नहीं होने की बात कर उसे तीन दिन बाद आने को कह दिया। वहीं, पिता ने बेटी के समुचित इलाज की बात कही तो डॉक्टर ने उन्हें कमरे से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। टूटे हुए दांत के दर्द के साथ वे बेटी को लेकर घर आ गए। रातभर बेटी दांत के दर्द से परेशान रही। जिसके बाद वह अगले दिन की सुबह अपनी बेटी को सही इलाज दिलवाने के लिए कोटद्वार चले गए। उनका कहना है कि जब से यह अस्पताल पीपीपी मोड पर संचालित हुआ है, तब से जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
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