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इलाज के नाम पर डॉक्टर ने तोड़ दिया बच्ची का आधा दांत

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं लचर है। पहाड़ में आज की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं। हर पांच साल में सरकारें बदलती हैं, लेकिन अस्पतालों के हाल नहीं बदलते। पहाड़ों में न ही पर्याप्त चिकित्सक हैं, न स्टाफ। वहीं, चिकित्सा उपकरणों की स्थिति से भी सब वाकिफ है।  अब तो हालत ऐसे हो गए है कि अब किसी बड़ी बीमारी का इलाज तो छोड़िए फ्रैक्चर के इलाज के लिए भी पहाड़ से उतरकर देहरादून या हरिद्वार जाने की नौबत आ गयी है। हाल ही में सोशल मीडिया पर सरकार को आईना दिखाती एक तस्वीर वायरल हो रही थी। जिसमें एक स्कूली बच्ची के फ्रैक्चर हाथ में गत्ते का प्लास्टर लगाकर छुट्टी दे दी। वहीं अब ऐसा ही एक और मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल से सामने आया है। यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक डॉक्टर पर एक व्यक्ति ने उपचार के नाम पर अपनी बेटी का आधा दांत तोड़ने का आरोप लगाया है। व्यक्ति ने मामले की शिकायत ब्लाक चिकित्साधिकारी से की।

बता दें, स्यूंसी के रहने वाले शिशुपाल भंडारी ने बताया कि उसकी 17 वर्षीय बेटी अंकिता के दांत में दर्द हो रहा था, जिसके चलते वह अपनी बेटी को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल ले गया था। अस्पताल में तैनात डॉक्टर ने इलाज के दौरान बेटी का दांत आधा तोड़ दिया और इसके बाद पूरा दांत निकालने के लिए उपकरण नहीं होने की बात कर उसे तीन दिन बाद आने को कह दिया। वहीं, पिता ने बेटी के समुचित इलाज की बात कही तो डॉक्टर ने उन्हें कमरे से बाहर जाने का रास्ता दिखा दिया। टूटे हुए दांत के दर्द के साथ वे बेटी को लेकर घर आ गए। रातभर बेटी दांत के दर्द से परेशान रही। जिसके बाद वह अगले दिन की सुबह अपनी बेटी को सही इलाज दिलवाने के लिए कोटद्वार चले गए। उनका कहना है कि जब से यह अस्पताल पीपीपी मोड पर संचालित हुआ है, तब से जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।

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