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उत्तराखण्ड में जुगाड़ू स्वास्थ्य व्यवस्था, बच्ची को लगा दिया गत्ते का प्लास्टर

उत्तर नारी डेस्क 

उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी स्वास्थ्य सुविधाएं लचर है। पहाड़ में आज की स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति किसी से छिपी नहीं। हर पांच साल में सरकारें बदलती हैं, लेकिन अस्पतालों के हाल नहीं बदलते। पहाड़ों में न ही पर्याप्त चिकित्सक हैं, न स्टाफ। वहीं, चिकित्सा उपकरणों की स्थिति से भी सब वाकिफ है।  अब तो हालत ऐसे हो गए है कि अब किसी बड़ी बीमारी का इलाज तो छोड़िए फ्रैक्चर के इलाज के लिए भी पहाड़ से उतरकर देहरादून या हरिद्वार जाने की नौबत आ गयी है। हाल ही में सोशल मीडिया पर सरकार को आईना दिखाती एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर में स्कूल में पढ़ने वाली एक बच्ची दिखाई दे रही है। जिसके हाथ में बंधी हुई सफेद पट्टी गले में है और हाथ एक गत्ते के अंदर है। बताया जा रहा है कि तस्वीर पौड़ी के रिखणीखाल की है, पौड़ी वही जिला है, जहां से अपने स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत आते हैं। सोचने की बात तो ये है कि जब उनके जिले में ही प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था का ये हाल है तो प्रदेश के अन्य दूर दराज के क्षेत्रों का क्या हाल होगा इससे अंदाजा लगाया जा सकता है?

जानकारी के अनुसार, बच्ची के हाथ में फ्रैक्चर हो गया। वो बच्ची रिखणीखाल में सरकारी डॉक्टर के पास अपना इलाज कराने के लिए पहुंची। लेकिन अस्पताल में न ही हड्डी रोग विशेषज्ञ है और न ही एक्सरे की व्यवस्था। ऐसे में डॉक्टर ने अपना सरकारी फर्ज अदा किया और बच्ची के हाथों में गत्ते का प्लास्टर लगाकर छुट्टी दे दी। आप अब तस्वीर में खुद ही देख लीजिये कि उत्तराखण्ड में हाथ में फ्रैक्चर होने पर कैसा नायाब इलाज किया जा रहा है। इस तस्वीर को देखकर साफ दिखाई है कि प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल होने के बाद लोग प्रदेश सरकार को जमकर कोस रहे हैं। इसके साथ ही बड़बोड़े स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत पर भी लोग तंज कस रहे हैं। 

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