उत्तर नारी डेस्क
इस सूचना पर इन यात्रियों (युवकों) को आश्वस्त किया गया कि उनका सामान उन्हें मिल जाएगा। चौकी प्रभारी भीमबली अनिल रावत अधीनस्थ पुलिस कार्मिकों द्वारा इनके द्वारा बताये गये स्थल यानि उस रेन सेड तक गये। आसपास कुछेक दुकाने भी थीं, उनसे भी पूछताछ की तो उधर ही रह रहे नाबालिगों द्वारा बताया गया कि पर्स और मोबाइल उनके द्वारा ले लिए गये थे और बैग वहीं पर रहने दिया गया था। नाबालिगों को भविष्य के लिए सख्त चेतावनी देकर पर्स और मोबाइल वापस लेकर इन यात्रियों के श्री केदारनाथ धाम से वापस आने पर उनकी सामग्री उनके सुपुर्द कर दी गयी। जिनके द्वारा उत्तराखण्ड पुलिस का आभार प्रकट किया गया।
कई बार न पुलिस को सख्त होने के साथ-साथ नरमी भी दिखानी ही पड़ती है। नाबालिग बच्चों द्वारा किये गये इस कृत्य में हमारा यही नम्र रूप सामने आया है, कभी कभार कुछ गलतियां जाने अनजाने में हो जाती हैं, जरूरी नहीं कि हर गलती के लिए दण्ड का प्रावधान ही रखा जाये। क्षमा भी एक ऐसा दण्ड होता है कि यदि किसी ने इसके महत्व को जान लिया तो समझ लो उसने जग जीत लिया। नहीं समझ पाया तो आगे ऐसे मौके यानि बार-बार माफी मिलने के दिन तो आने से रहे सो अपनी करनी का भुगतान तो करना ही पड़ेगा। इसलिए माफी को हल्के मेंं न लें बल्कि इसे जीवन का एक सबक अवश्य समझें।
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