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निजीकरण के खिलाफ आठ जनवरी से आंदोलन पर नैनीताल बैंक कर्मी

उत्तर नारी डेस्क 


ऊधम सिंह नगर : निजीकरण के खिलाफ नैनीताल बैंक में आठ जनवरी से बड़े आन्दोलन की शुरूआत होने जा रही है। यूनाईटेड फोरम आफ नैनीताल बैंक के बैनर तले कर्मचारियों एवं आधिकारियों ने हल्द्वानी स्थित मंडल कार्यालय एवं नैनीताल स्थित मुख्यालय में आन्दोलन की रणनीति तय कर ली है। नैनीताल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन,(एन.बी.ओ.एफ) के अध्यक्ष आर.सी  शर्मा एवम् उपाध्यक्ष कुलदीप सिंह रावत ने सयुक्त रूप से बताया कि प्रबन्धन ने पूर्व में हुई वार्ता के बाद अब तक कोई जबाब नहीं दिया है। वर्ष 1922 में नैनीताल बैंक की स्थापना पहाड़ी अंचल के लोगों को बैंकिंग सुविधा प्रदान करने के लिए की गई। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के दौर के पश्चात 1973 में बैंक ऑफ बड़ौदा को नैनीताल बैंक के प्रबंधन का दायित्व सौंपा गया। लगभग 50 वर्षों तक नैनीताल बैंक का प्रबंधन संभालने के उपरांत 2018 में बैंक ऑफ बड़ोदा द्वारा नैनीताल बैंक के विनिवेश की असफल प्रयास किया गया, जिसके चलते नैनीताल बैंक ऑफिसर फेडरेशन ने संसद तक गई और तत्कालीन  सांसद  भगत सिंह कोश्यारी  के दखल के बाद उस समय इस पर रोक लगा दी गई।

कालांतर में, कोरोना महामारी के बाद पुनः इस दिशा में बॉब के द्वारा कुप्रयास किया गया और बीते 13 दिसंबर को बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा एकाएक पुनः विनिवेश की घोषणा से नैनीताल बैंक से जुड़े सभी कर्मचारी व ग्राहक स्तब्ध व चिंतित हैं। विगत 50 वर्षों से निरंतर मुनाफे में चल रहे इस बैंक के विनिवेशीकरण का प्रयास पूर्व में भी किया जा चुका है, जिसको बैंक के सभी कर्मचारियों व अन्य शेयरहोल्डर्स द्वारा विफल कर दिया गया था। बैंक कर्मचारियों के अधिकारी व अवॉर्ड स्टाफ संगठनों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बैंक ऑफ बड़ौदा के इस कदम का पुरजोर विरोध किया जाएगा व कर्मचारियों के हितों की रक्षा हर हाल में की जाएगी, साथ ही उन्होंने बैंक के ग्राहकों को भी आश्वस्त किया है कि उनकी जमापूंजी बैंक में सुरक्षित है व उन्हें किंचित घबराने की आवश्यकता नहीं है। इस विषय पर बात करने पर नैनीताल बैंक ऑफिसर फेडरेशन के जनरल सेक्रेटरी  भरत निर्मले ने कहा है कि, बॉब के इस कदम से नैनीताल बैंक से जुड़े स्थाई और अस्थायी आफिसर-कर्मचारियों औऱ उनके 10000 परिवारों की रोजी रोटी पर संकट के बादल गहरा गए है ।

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