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षटतिला एकादशी कब है? 11 नियम व्रत से पहले जान लीजिए

उत्तर नारी डेस्क 

वर्ष 2023 में षटतिला एकादशी माघ माह के कृष्ण पक्ष की ग्यारस तथा तारीख के अनुसार 18 जनवरी को पड़ रही हैं। षटतिला एकादशी व्रत रखने वाले व्रतधारी के जीवन से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन तिल का प्रयोग 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है। आइए जानते हैं षटतिला एकादशी कब है और क्या हैं इस व्रत के नियम- 

 

षटतिला एकादशी तारीख के अनुसार नववर्ष में 18 जनवरी 2023, दिन बुधवार को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं नियम-

1. षटतिला एकादशी का व्रत प्रारंभ माघ कृष्ण दशमी के दिन से ही शुरू हो जाता है, जो पारण के समय तक जारी रहता है। 

2. एकादशी पर स्नानादि तथा दैनिक नित्य क्रिया से निवृत्त होकर सब देवताओं के देव श्री भगवान का पूजन करें और एकादशी व्रत का संकल्प लें। 

3. इस दिन लकड़ी का दातुन न करें। नींबू, आम या जामुन के पत्ते चबाकर कुल्ला कर लें और अंगुली से गला साफ कर लें। 

4. एकादशी के दिन किसी भी रूप में चावल ग्रहण नहीं किया जाता है।  

5. इस दिन पूर्णत: ब्रह्मचर्य का पालन करें।  

6. एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही उसे छूना चाहिए।

7. इस दिन प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, गाजर, शलजम, गोभी, पालक आदि का भी सेवन नहीं करते हैं। 

8. इस दिन झाडू और पोछा नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लगता है।

9. इस दिन खास कर बाल भी नहीं कटवाना चाहिए। 

10. इस दिन 1. तिल स्नान, 2. तिल का उबटन, 3. तिल का हवन, 4. तिल का तर्पण, 5 तिल का भोजन और 6. तिलों का दान- आदि के 6 प्रकार के प्रयोग के कारण यह षट्तिला एकादशी कहलाती है तथा इसका बहुत पुण्य प्राप्त होता है। 

11. इस व्रत में रात्रि जागरण करके श्रीविष्णु का ध्यान करना चाहिए तथा अपनी इंद्रियों को वश में रखकर काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या तथा द्वेष आदि का त्याग कर भगवान का स्मरण करना चाहिए। 

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