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UKD का प्रश्न, क्या उत्तराखण्ड विकास कार्यों व विस्थापितों के पुनर्वास के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर रहेगा!

उत्तर नारी डेस्क

उत्तराखण्ड राज्य बनने से पूर्व बेनाप भूमि में होने वाले विकास कार्यों के लिए भूमि वनीकरण के लिए गोंडा बस्ती आदि अन्य इलाकों में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जाता था। राज्य गठन के पश्चात सन 2000 से 2010 तक उत्तराखण्ड में 8000 हेक्टेयर (आठ हजार) भूमि केंद्र सरकार का उत्तराखण्ड सरकार पर कर्ज हो गया था। 2011 में भुवन चंद खंडूरी सरकार में उत्तराखण्ड क्रांति दल के समर्थित राजस्व मंत्री दिवाकर भट्ट के अथक प्रयासों से नौकरशाहों पर्यावरण विशेषज्ञ व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं से विधिक राय लेकर ब्रिटिश कालीन 1893 का अल्मोड़ा कमिश्नरी के नोटिफिकेशन को कैबिनेट में लाकर रद्द कर दिया गया था, जिससे 700000 ( सात लाख) हेक्टेयर बेनाम भूमि उत्तराखण्ड सरकार के पास विकास कार्यों के लिए उपलब्ध हुई थी। जिसमें सरकार द्वारा आगामी विकास कार्यों में अवरोध उत्पन्न न हो सके उसके लिए 20000 ( बीस हजार) हेक्टेयर भूमि लैंड बैंक बना दिया गया था। 

नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट के आवासीय परिसर जो बेनाम भूमि पर बनी हुई थी 2012 में स्वत्: संज्ञान लेते हुए कोर्ट में रिट दायर करी। 2017 हाई कोर्ट नैनीताल द्वारा 2011 में केबिनेट बैठक नोटिफिकेशन रद्द किया गया था। उसको यथावत कर जिससे पुनः बेनाप भूमि पर फॉरेस्ट एक्ट में तब्दील हो गई। इस तरह राष्ट्रीय दलों की सरकार 2012 से कांग्रेस 2017 से भाजपा सरकार द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट में कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई। जबकि वर्तमान में जोशीमठ सहित 350 से अधिक गांव भूस्खलन के खतरे के जद में हैं। जबकि दोनों राष्ट्रीय दलों के बड़े-बड़े नेता जोशीमठ भू-धंसाव पर जोशीमठ जाकर आंसू बहा रहे हैं और वर्तमान सरकार द्वारा अपनी ही सरकारी विभाग की जमीन का विस्थापितों के लिए परीक्षण करा रही है। जबकि सरकार को चाहिए थी उत्तराखण्ड की बेनाप भूमि को फारेस्ट एक्ट से हटाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट मैं अपना पक्ष रखना चाहिए था, जिससे उत्तराखण्ड सरकार जल्द से जल्द बेनाप भूमि पर विस्थापितों को पुनर्वास करवा सकती थी। साथ ही बेनाप भूमि उत्तराखण्ड सरकार का हक होने पर विकास कार्यों को गति मिलती। उत्तराखण्ड क्रांति दल की भी सरकार से मांग करता है उत्तराखण्ड की बेनाप् भूमि उत्तर प्रदेश सरकार की तरह उत्तराखण्ड सरकार का ही हक हो। 

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