उत्तर नारी डेस्क

नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट के आवासीय परिसर जो बेनाम भूमि पर बनी हुई थी 2012 में स्वत्: संज्ञान लेते हुए कोर्ट में रिट दायर करी। 2017 हाई कोर्ट नैनीताल द्वारा 2011 में केबिनेट बैठक नोटिफिकेशन रद्द किया गया था। उसको यथावत कर जिससे पुनः बेनाप भूमि पर फॉरेस्ट एक्ट में तब्दील हो गई। इस तरह राष्ट्रीय दलों की सरकार 2012 से कांग्रेस 2017 से भाजपा सरकार द्वारा नैनीताल हाई कोर्ट में कोई विधिक कार्रवाई नहीं की गई। जबकि वर्तमान में जोशीमठ सहित 350 से अधिक गांव भूस्खलन के खतरे के जद में हैं। जबकि दोनों राष्ट्रीय दलों के बड़े-बड़े नेता जोशीमठ भू-धंसाव पर जोशीमठ जाकर आंसू बहा रहे हैं और वर्तमान सरकार द्वारा अपनी ही सरकारी विभाग की जमीन का विस्थापितों के लिए परीक्षण करा रही है। जबकि सरकार को चाहिए थी उत्तराखण्ड की बेनाप भूमि को फारेस्ट एक्ट से हटाने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए या सुप्रीम कोर्ट मैं अपना पक्ष रखना चाहिए था, जिससे उत्तराखण्ड सरकार जल्द से जल्द बेनाप भूमि पर विस्थापितों को पुनर्वास करवा सकती थी। साथ ही बेनाप भूमि उत्तराखण्ड सरकार का हक होने पर विकास कार्यों को गति मिलती। उत्तराखण्ड क्रांति दल की भी सरकार से मांग करता है उत्तराखण्ड की बेनाप् भूमि उत्तर प्रदेश सरकार की तरह उत्तराखण्ड सरकार का ही हक हो।
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