Uttarnari header

uttarnari

उत्तराखण्ड : नीम करौली बाबा के आशीर्वाद से ठीक हुए अभिनेता शक्ति कपूर

उत्तर नारी डेस्क


देवों की भूमि 'देवभूमि' उत्तराखण्ड अपने अनेक मंदिरों और तीर्थ स्थानों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां ऐसे कई चमत्कारिक मंदिर और तीर्थ स्थान हैं। जिनके पीछे लोगों की अगाढ़ श्रद्धा, प्रेम एवं भक्ति समर्पित है। इसी क्रम में बाबा नीम करोली के धाम मैं आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की भी कोई गिनती नहीं। पिछले साल ही विराट कोहली और अनुष्का शर्मा भी नीम करोली बाबा के मंदिर पहुंचे थे। जिस के बाद उनके करियर को नई उडान मिली और विराट कोहली ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कुल 4 शतक जमाये। इसी क्रम में अब अभिनेता शक्ति कपूर भी नीम करौली बाबा की शक्तियों के मुरीद बन गए हैं। 

जी हाँ, इस बारे में खुद अभिनेता से सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर लाखों लोगों को बताया है कि वह भी बाबा के दर्शन करने जल्द ही कैंची धाम पहुंचेंगे। वीडियो में शक्ति कपूर कहते नजर आते हैं कि पिछले दिनों वह काफी बीमार थे। उनके किसी मित्र ने कैंची धामी से प्रसाद के तौर पर उन्हें एक कंबल भेजा और उसे ओढ़ते ही उन्होंने नई ऊर्जा महसूस की है। इसके बाद से वह बेहतर महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबा को सच्चे मन से याद करने वालों को नीम करौली बाबा कभी मायूस नहीं करते हैं। नीम करौली के दर पर जाने वाला व्यक्ति कभी खाली हाथ नही लौटता है। उन्होंने जल्द कैंची धाम पहुंचकर बाबा के समक्ष शीश झुकाने की इच्छा जाहिर की है।

नैनीताल में स्थित है करोली बाबा का "कैंची धाम"

यह धाम नैनीताल की कैंची नामक जगह पर स्थित है। यहां की सड़कों का आकार कैंची जैसा होने के चलते इस जगह को यह नाम दिया गया है। बाबा नीब करौरी 1961 में पहली बार यहां आए थे। उन्होंने कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा ने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। जिसके बाद 1964 में बाबा ने यहां हनुमान मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के बगल से शिप्रा नदी गुजरती है। मान्यता है कि बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। जिस वजह से लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। हालांकि वह आडंबरों से दूर रहते थे। न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला। एक आम आदमी की तरह जीवन जीने वाले बाबा अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे। यदि कोई छूने की कोशिश करता तो वह उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। 

यह भी पढ़ें - पौड़ी गढ़वाल : तिरंगे में लिपटा सैनिक का पार्थिव शरीर पहुंचा गांव, मचा कोहराम


Comments