उत्तर नारी डेस्क
बता दें, विधानसभा सचिवालय में हुई तदर्थ भर्तियों में गड़बड़ी का मामला विवादों के घेरे में आने पर विधानसभा अध्यक्षा ने नियुक्तियों की जांच के लिए 3 सितंबर 2022 को सेवानिवृत्त आईएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति ने 22 सितंबर को अपनी जांच रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंपी थी। इसमें समिति ने तदर्थ आधार पर की गई नियुक्तियों को नियम विरुद्ध पाया था। समिति की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा अध्यक्षा ने 23 सितंबर को 2016 के बाद हुई नियुक्ति को रद्द कर 228 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी थी। ऐसे में बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा अध्यक्षा के इस निर्णय को चुनौती देते हुए नैनीताल हाईकोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई थी, जहाँ हाईकोर्ट ने विधानसभा कर्मचारियों को बर्खास्त करने के विधानसभा सचिवालय के आदेश को सही ठहराया था। वहीं, शुक्रवार को भी सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई। एसएलपी पर शुक्रवार को सुनवाई हुई और यहां भी एसएलपी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज करते हुए बर्खास्त कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया।
गौरतलब है कि, भविष्य में विधानसभा सचिवालय में होने वाली नियुक्तियां नियम व पारदर्शिता हो इसके लिए विधानसभा अध्यक्षा ऋतु खंडूड़ी भूषण ने नियमावली में संशोधन की पहल की। उत्तराखण्ड विधानसभा अब सीधी भर्ती के सभी खाली पदों को उत्तराखण्ड राज्य लोक सेवा आयोग और उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से भरेगी। इस संशोधन के साथ शासन ने सेवा नियमावली पर सहमति जताते हुए इसे विधानसभा को लौटा दिया है। संशोधित नियमावली में विधायी को फिर से विधानसभा का प्रशासकीय विभाग बनाने का प्रावधान किया गया है। उच्चतम न्यायालय में विधानसभा सचिवालय उत्तराखण्ड की ओर से वकील अमित तिवारी और वकील अर्जुन गर्ग ने पैरवी की।
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