उत्तर नारी डेस्क
कोटद्वार-पौड़ी हाईवे को 4 दिन के बाद वाहनों की आवाजाही के लिए बहाल कर दिया गया है। गौरतलब है कि 21 अगस्त की देर रात को बादल फटने के कारण आमसौड़ गांव के पास मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे 534 का बड़ा हिस्सा खो नदी में समा गया। इसके अलावा कई जगहों पर लैंडस्लाइड के कारण हाईवे अवरुद्ध हो गया था। जिसके कारण नेशनल हाईवे 534 मार्ग के बांधित होने से कोटद्वार, गुमखाल, पौड़ी, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग और चमोली का संपर्क टूट गया है। जिसे वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया है। ऐसे में नेशनल हाईवे 534 मार्ग से आवाजाही करने वाले वाहन चालकों ने राहत की सांस ली है। वहीं, मौके पर पुलिस टीम द्वारा यातायात को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है।
छह जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी
उत्तराखण्ड में आज शुक्रवार को भी भारी बारिश की आशंका है। मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, चम्पावत, बागेश्वर और ऊधमसिंह नगर जिले के कई इलाकों में 25 अगस्त को भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। जबकि, प्रदेश के अन्य जिलों में भी गर्जना और बिजली चमकने के साथ बारिश की संभावना है। 27 अगस्त के बाद सभी जिलों में बारिश से राहत के आसार हैं।
बता दें, मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह का कहना है कि मानसून सीजन के दौरान अभी तक सामान्य तौर पर होने वाली 904.20 मिमी बारिश के सापेक्ष 1019 मिमी बारिश रिकाॅर्ड की गई है। इस हिसाब से एक जून से 23 अगस्त तक 13 फीसदी अधिक बारिश हुई है। चूंकि सामान्य से 19 फीसदी अधिक तक बारिश को सामान्य की श्रेणी में लिया जाता है। इसलिए इसे सामान्य बारिश ही माना जाएगा।
लखवाड़ गाँव में मंडराया आपदा का खतरा, मकानों में आने लगी दरारें
जौनसार क्षेत्र में तेज बरसात के कारण लखवाड़ गाँव में आपदा का खतरा मंडराने से स्थानीय लोग दहशत में आ गए है। आपको बता दें, उत्तराखण्ड में भू-धंसाव का यह पहला मामला नहीं है जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या सामने आने के बाद से प्रदेश के कई इलाकों में दरारें और भूं-धंसाव की लगातार खबरें सामने आने लगी हैं।
हाल में ही देहरादून जिले के लांघा के करीब जाखन गाँव में भू-धंसाव के कारण पूरा गाँव जमींदाेज हो गया, लोग घर से बेघर हो गये। यहीं भय अब लखवाड़ गाँव के ग्रामीणों को भी सताने लगा है। तेज वर्षा के गाँव के नीचे भू धंसाव होने से लम्बी लंबी दरारें आ गई। कई दशकों पूर्व निर्मित भूकंप रोधी लकड़ी के घरों सहित, पक्के मकानों में भी बड़ी-बड़ी दरारे सामने देखने को मिल रही है। जिससे ग्रामीणों की अब नींद तक उड़ गई है, इस गाँव के नीचे पानी की बहुत अधिक मात्रा होने से ज्यादा खतरा बना है, यहाँ तक कि मंदिर के समीप लगे हैंडपंप में भी स्वयं पानी आ रहा है। जिससे ग्रामीणों के आवासीय भवनों के जमींदोज होने का खतरा और ज्यादा बढ़ गया है।
जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर के कालसी तहसील से जुड़े पर्यटन स्थल लखवाड़ गाँव में करीब 40 से अधिक परिवार रहते है, साथ ही यहाँ पर सैकड़ो वर्ष पुराना महासू देवता का भव्य मंदिर भी है, जहा प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर घर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना करते हैं। ग्रामीणों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द लखवाड़ गाँव में भू-धंसाव को कोई ठोस कदम उठाया जाए।यदि समय रहते कोई सुरक्षात्मक कदम नहीं उठाए गए तो लखवाड़ गाँव का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

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