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उत्तराखण्ड की बेटी पर्वतारोही सविता कंसवाल को मरणोपरांत मिला तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार

उत्तर नारी डेस्क 


देवभूमि उत्तराखण्ड की होनहार बेटी पर्वतारोही स्वर्गीय सविता कंसवाल को मरणोपरांत "तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार-2022" से सम्मानित किया गया। आज 9 जनवरी 2024 को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सविता कंसवाल के पिता राधेश्याम कंसवाल को यह सम्मान दिया। अवार्ड ग्रहण करने के लिए सविता की मां कमलेश्वरी देवी भी पहुंची थीं। उस वक्त भावुक और गर्व से भरा क्षण रहा, जब राधेश्याम कंसवाल ने अपनी दिवंगत बेटी सविता कंसवाल का लैंड एडवेंचर में तेनजिंग नोर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड स्वीकार किया। 
बता दें, उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी तहसील के लौंथरू गांव की सविता कंसवाल पहली भारतीय महिला पर्वतारोही थी, जिन्होंने 16 दिन के अंतराल में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848,46 मीटर) व माउंट मकालू पर तिरंगा फहराया था। साल 2022 में ट्रैकिंग के दौरान जान गंवाने वाली सविता के लिए उनके पिता ने पुरस्कार को राष्ट्रपति से ग्रहण किया। जैसे ही सविता का नाम पुरस्कार के लिए बुलाया गया उनकी की आंखों से आंसू छलक गए। वहीं, राष्ट्रपति हॉल में बैठी उनकी बहन की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे।

गौरतलब है कि 
4 अक्टूबर 2022 को उत्तरकाशी में द्रौपदी का डांडा चोटी के आरोहण के दौरान 29 सदस्यीय पर्वतारोही का दल एवलांच की चपेट में आ गया था। जिसमें सविता कंसवाल की भी बर्फ में दबकर मौत हो गई थी। इस हादसे में यह एवलांच पर्वतारोहण के इतिहास में काला दिन माना जाता है। अब सविता को मरणोपरांत यह अवार्ड को मिलने पर क्षेत्र के लोगों ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि छोटे से गांव की सविता कंसवाल ने उत्तराखण्ड ही नहीं, बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम ऊंचा किया है।


सविता इन चोटियों को भी कर चुकी थीं फतह 
त्रिशूल पर्वत (7120 मीटर)
हनुमान टिब्बा (5930 मीटर)
कोलाहाई (5400 मीटर)
द्रौपदी का डांडा (5680 मीटर)
तुलियान चोटी (5500 मीटर)
माउंट ल्होत्से (8516 मीटर)
माउंट एवरेस्ट (8,848.86)


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