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हरिद्वार : श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित किया जा रहा है त्रिदिवसीय अखिल भारतीय शोध सम्मेलन

उत्तर नारी डेस्क 

हरिद्वार : केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली के शोध एवं प्रकाशन विभाग के आर्थिक सहयोग से श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, हरिद्वार में त्रिदिवसीय अखिल भारतीय शोध सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह अनुदान डॉ. आशिमा श्रवण व डॉ. रवीन्द्र कुमार द्वारा दिये गये प्रस्ताव पर मिला है। जिसका मुख्य विषय संस्कृत साहित्य में जल संरक्षण है। आज शोधसम्मेलन का उ‌द्घाटन किया जायेगा। जिसमें दून विश्वविद्यालय की कलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल जी, पतञ्जलि विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, सङ्गीत अकादमी से पुरस्कृत प्रो. डी. आर. पुरोहित प्रोफेसर हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, प्रो. विजवकरण, प्रोफेसर नंद नालंदा विश्वविद्यालय, बिहार अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान करेंगे।

शोधसम्मेलन की संयोजिका डॉ. आशिमा श्रवण तथा संयोजक डॉ. रवीन्द्र कुमार ने बताया कि वर्तमान में जल प्रदूषण की वहती समस्या को ध्न में रखते हुए प्रस्तुत शोधसम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें देश के विभिन्न महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों से उपस्थित शोधार्थी जल संरक्षण से सम्बन्धित शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे। संस्कृतसाहित्य में जलसंरक्षण के विषय में अनेक तथ्य निहित हैं। जन साधारण के समक्ष संस्कृत साहित्य में निहित ये सभी तथ्य इस सम्मेलन के माध्यम से उजागर होंगे। वर्तमान में जान संरक्षण एक अपरिहार्य समस्या है। प्राचीन काल में हमारे ऋषि मुनि लोग जल की शुद्धता और उसके संरक्षण के लिये कटिबद्ध थे। वेद एवं संस्कृत साहित्य में जल संरक्षण के विषय में अत्यन्तम सुक्ष्म तथ्य निहित है। शोधसम्मेलन हेतु सभी शोधार्थियों के लिए निःशुल्क पञ्जीकरण की व्यवस्था है। भोजन एवं आवास की व्यवस्था भी महाविद्यालय की ओर से की गयी है।

कार्यक्रम के निर्देशक डॉ. वी. के. सिंहदेव ने बताया कि इस कार्यक्रम में प्रो. राधावल्लभ त्रिपाठ पूर्व कुलपति केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, प्रो. श्रवण कुमार शर्मा पूर्व प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष अंग्रेजी विभाग, गुरुकुल काङ्गडी विश्वविद्यालय, हरिद्वार, प्रो. जयप्रकाश नारायण, प्रोफेसर संस्कृत विभाग जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, प्रो. विजयपाल शास्त्री, प्रोफेसर साहित्य विभाग रघुनाथकीर्ति परिसर देवप्रयाग आदि अपनी गरिमामयी उपस्थिति प्रदान करेंगे तथा वैदिक एवं लौकिक संस्कृत परम्परा में जल संरक्षण विषयक विभिन्न विषयों पर अपने अमूल्य विधार प्रदान करेंगे।

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