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हरिद्वार : श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में त्रिदिवसीय शोध सम्मेलन का हुआ उद्घाटन

उत्तर नारी डेस्क 


हरिद्वार : श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के आर्थिक सहयोग से संस्कृत साहित्य में जल संरक्षण विषय पर त्रिदिवसीय शोधसम्मेलन के आयोजन का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर पतञ्जलि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल, दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल, नव नालंदा विश्वविद्यालय के आचार्य प्रो. विजयकरण व एच. एन. बी. गढ़वाल से उपस्थित प्रो. डी. आर. पुरोहित ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि संस्कृत साहित्य में जल पर बहुत गहन चिन्तन किया गया है। ऋग्वेद के नासदीयसूक्त में जल की महत्ता का उल्लेख किया गया है। उन्होंने कहा की जीवन की यात्रा जल से प्रारम्भ होती है और जल पर ही समाप्त हो जाती है। नव नालंदा विश्वविद्यालय से उपस्थित प्रो. विजयकरण ने कहा कि जल के बिना जीवन दुर्लभ है। तृतीय विश्वयुद्ध की सम्भावना जल के कारण होने की सम्भावनाएँ है। उन्होंने कहा कि जल ही समीर है, समीर है तो शरीर है। शरीर के लिये जल की अत्यन्त आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि कृषिक्षेत्र और औद्योगिकक्षेत्र में जल की बहुत अधिक खपत है। इस पर सरकार को चिन्तन करना चाहिए।

दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुरेखा डंगवाल ने कहा कि प्राचीन काल में जल के स्रोतों की पूजा कि जाती थी। हमारे पूर्वज जल स्रोतों के आस-पास उत्पन्न वृक्षों और पादपों की रक्षा करते थे। उस प्राकृतिक जल स्रोत कि शुद्धता का मानक उच्च-कोटि का होता था। वह जल स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त लाभप्रद होता था। आज हमारे व्यवहार के कारण ये प्राकृतिक जल के स्रोत समाप्त हो गये है। हरिद्वार की तो प्रसिद्धि ही जल के कारण है। हम शान्तिपाठ में द्यौ, अन्तरिक्ष और पृथिवी पर शान्ति की कामना के साथ-साथ जल कि शान्ति अर्थात् जल के संरक्षण, संवर्धन की कामना भी करते हैं।

श्रीनगर से उपस्थित प्रो. डी. आर. पुरोहित ने कहा कि नोएडा, दिल्ली आदि शहरों में प्राकृतिक जल समाप्ति की ओर है। मेघदूत, अभिज्ञानशाकुन्तलम् आदि ग्रन्थों में प्रकृति के विषय में अद्भुत वर्णन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि पानी के बिना कृषि के अभाव में अन्न का सङ्कट उत्पन्न होने वाला है। यदि समय रहते हम सचेत नहीं हुए तो जल के बिना जीवन समाप्त हो जायेगा। 

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. के. सिंहदेव ने सभी अतिथियों का पौधा तथा श्रीमद्भगवद्गीता प्रदान कर स्वागत किया। कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. रवीन्द्र कुमार व डॉ. आशिमा श्रवण ने किया। इस अवसर पर प्रो. श्रवण कुमार, डॉ. मुकेश गुप्ता, डॉ. अनिल त्रिपाठी, डॉ. प्रकाश जोशी, डॉ. राजेन्द्र गौनियाल, डॉ. घनश्याम उनियाल, डॉ. निरञ्जन मिश्र, डॉ. आलोक कुमार सेमवाल, डॉ. दीपक कुमार कोठारी, डॉ. प्रमेश बिजल्वाण, विवेक शुक्ला, अतुल मैखुरी, मनोज कुमार गिरि, डॉ. अङ्कुर कुमार आर्य, स्वाति शर्मा आदि के साथ संस्कृत महाविद्यालयों के प्राध्यापक तथा महाविद्यालय के कर्मचारी उपस्थित रहें।

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